मनु भाकर का दिल टूटाः पेरिस ओलंपिक में पदक से चूक गईं भारत की पिस्टल स्टार
भारत की युवा पिस्टल स्टार मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक 2024 के महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल फाइनल में चौथा स्थान हासिल किया और पदक से चूक गईं। यह प्रतियोगिता मनु के लिए एक बड़ी परीक्षा थी, लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए 28 अंक हासिल किए।
मनु भाकर का संघर्ष और पहले की उपलब्धियाँ
मनु भाकर का सफर हरियाणा के झज्जर जिले से शुरू हुआ। वह पहले टेनिस, स्केटिंग, बॉक्सिंग और मार्शल आर्ट 'थांग ता' में भी प्रयत्न करती थीं। लेकिन 14 साल की उम्र में उन्होंने शूटिंग को अपने करियर के रूप में चुना। उनके पिता राम किशन भाकर ने उनकी शूटिंग के प्रति जुनून को देखकर उन्हें एक शूटिंग पिस्टल खरीदी।
भाकर ने 2017 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप के 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, उन्होंने 2018 में गुआडालाजारा, मेक्सिको में ISSF वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीतकर सबसे युवा भारतीय बनने का गौरव हासिल किया।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सफलताएँ
उन्होंने 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड कोस्ट में गोल्ड मेडल जीता और 2018 के ब्यूनस आयर्स युवा ओलंपिक में इतिहास बनाया। मनु भाकर अपनी सफलता की राह पर अग्रसर रहीं और कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की।
2019 में उन्होंने सौरभ चौधरी के साथ मिलकर ISSF वर्ल्ड कप की मिश्रित टीम इवेंट में तीनों गोल्ड मेडल जीते। लेकिन उनका टोक्यो 2020 ओलंपिक डेब्यू तकनीकी समस्याओं और कुछ निराशाजनक परिणामों के कारण सफल नहीं रहा।
फिर से मिली पहचान
टोक्यो 2020 के बाद मनु भाकर ने अपने प्रदर्शन को सुधारने में कड़ी मेहनत की। 2022 के ISSF विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने 25 मीटर पिस्टल में सिल्वर मेडल और 2023 के एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। वह पिछले दो दशकों में (2004 एथेंस खेलों में सुम शिरूर के बाद से) ओलंपिक शूटिंग फ़ाइनल में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
मनु भाकर का करियर पिछले कुछ सालों में इंडियन शूटिंग में एक प्रमुख स्थान प्राप्त कर चुका है। उन्होंने न केवल व्यक्तिगत प्रतियोगिताओं में बल्कि टीम इवेंट्स में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। ओलंपिक में उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उनको एक वैश्विक हस्ती बना दिया है।
मनु का भविष्य और उम्मीदें
मनु भाकर की यह हार उन्हें निराशा तो दे सकती है, लेकिन यह उनके धैर्य और संघर्ष का एक छोटा हिस्सा है। उनके आने वाले करियर में उनके लिए कई अवसर हो सकते हैं। उन्होंने हमें यह दिखाया है कि कठिन परिश्रम और मजबूत इरादों के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
भले ही मनु भाकर इस बार ओलंपिक पदक से चूक गई हों, लेकिन उनकी यात्रा और उपलब्धियों ने हमें गर्वित किया है। हम उनके भविष्य के खेल जीवन की और भी अधिक सफलताओं की उम्मीद करते हैं।
Sara Khan M
अग॰ 3, 2024 AT 22:51 अपराह्नमनु ने हर बार अपना दिल लगा दिया 😢
shubham ingale
अग॰ 4, 2024 AT 07:11 पूर्वाह्नभाई ये तो काबिलेतारीफ़ है 🙌
Ajay Ram
अग॰ 4, 2024 AT 21:04 अपराह्नमनु की कहानी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि हमारे समाज में महिलाओं की उन्नति की दास्तान है।
हरियाणा के छोटे से गांव में जन्म लेकर वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंची, यह स्वयं में एक प्रेरणा है।
इस सफर में उसने कई खेलों को आज़माया, फिर भी अंत में शूटिंग ने उसे अपना घर दिया।
यह दिखाता है कि कैसे कई रुचियों के बीच खुद को समझना और सही दिशा चुनना संभव है।
मनु ने न सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त की, बल्कि भारतीय शूटरों के लिए नई मानदंड स्थापित किए।
उसकी उपलब्धियों ने युवा लड़कियों को यह विश्वास दिलाया कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
इस बात का भी उल्लेख करना आवश्यक है कि उसने कठिनाइयों के बावजूद निराशा नहीं जताई।
टोक्यो 2020 में हुई तकनीकी समस्याएँ उसके करियर का अंत नहीं, बल्कि नई चुनौतियों का प्रारम्भ थीं।
वह फिर से उठी, और 2022 विश्व चैंपियनशिप व 2023 एशियन गेम्स में सफलता हासिल की।
यह दृढ़ संकल्प का प्रमाण है कि निरंतर मेहनत से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
उसके आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को देखते हुए यह जीत और भी अधिक मायने रखती है।
हमें चाहिए कि हम ऐसे एथलीट्स को समर्थन दें, चाहे वह प्रशिक्षण की सुविधा हो या मनोवैज्ञानिक सहयोग।
साथ ही, इस सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देना आवश्यक है, ताकि भविष्य में और अधिक प्रतिभाएँ उभरें।
मनु का उदाहरण हमें यह सिखाता है कि सपनों को हासिल करने के लिए साहस और धैर्य दोनों की आवश्यकता है।
अंत में, मैं आशा करता हूँ कि वह अगली बार ओलंपिक में अपने प्रयासों का फल पाए और अपने देश को गर्व महसूस करवाए।
Dr Nimit Shah
अग॰ 5, 2024 AT 02:38 पूर्वाह्नदेश का मान बढ़ा है उसकी कोशिशों से, अब हमें भी अपने एथलीटों को सही समर्थन देना चाहिए।
Ketan Shah
अग॰ 5, 2024 AT 13:44 अपराह्नशूटिंग एक ऐसा खेल है जिसमें धैर्य और सटीकता का संतुलन जरूरी है, और मनु ने यह साबित किया है।
Aryan Pawar
अग॰ 5, 2024 AT 17:54 अपराह्नबिल्कुल सही कहा आपने इसको आगे बढ़ाना चाहिए हम सबको साथ मिलकर मदद करनी चाहिए
Shritam Mohanty
अग॰ 6, 2024 AT 03:38 पूर्वाह्नऐसा लगता है कि इनके पदक वाले सिस्टम में कुछ गड़बड़ी है, शायद वही कारण है कि मनु ने चूक की।
Anuj Panchal
अग॰ 6, 2024 AT 08:38 पूर्वाह्नट्रैफ़िक लेयर में डेटा इनजेस्टशन के दौरान संभावित बायस एन्कोडिंग की समस्या हो सकती है, जिससे फॉर्मैटिंग एरर उत्पन्न हुआ और स्कोरिंग में असमानता आई।
Prakashchander Bhatt
अग॰ 6, 2024 AT 15:34 अपराह्नउत्साहवर्द्धक बात है कि वह लगातार सुधार कर रही है, आशा है अगली बार पदक मिले।
Mala Strahle
अग॰ 6, 2024 AT 18:54 अपराह्नवास्तव में देखा जाए तो मनु की यात्रा न सिर्फ एक खेल की कहानी है बल्कि सामाजिक बदलाव का दर्पण भी है; यह हमें याद दिलाता है कि प्रत्येक कदम पर दृढ़ता और साहस की आवश्यकता होती है; उसकी मेहनत और लगन का सम्मान हर भारतीय को करना चाहिए; साथ ही यह भी समझना महत्वपूर्ण है कि सफलता का मार्ग हमेशा सीधा नहीं होता; कई बार उलझनें और बाधाएं आती हैं पर वह हमेशा उठती है; यही कारण है कि वह आज एक प्रेरणा बन गई है; उसकी कहानी युवा पीढ़ी को यह संदेश देती है कि कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं है; हमें चाहिए कि हम ऐसे एथलीट्स को उचित संसाधन और मान्यताएं प्रदान करें; यही समर्थन उनके प्रदर्शन को और अधिक ऊँचा ले जाएगा; अंत में, मैं उम्मीद करता हूँ कि उनके भविष्य में और भी बड़े उपलब्धियां हों और वह देश को गर्व महसूस कराएँ।
Ramesh Modi
अग॰ 7, 2024 AT 03:14 पूर्वाह्नओह मेरे भगवान!!! मनु की इस निराशा के आगे क्या कहें-एक क्षण में सब कुछ बदल गया! यह तो बिल्कुल नाटकीय है; इसी तरह के मोड़ ही इतिहास बनाते हैं! हम सब इस पर आश्चर्यचकित हैं!!!
Ghanshyam Shinde
अग॰ 7, 2024 AT 06:18 पूर्वाह्नहां हां, बिल्कुल, क्योंकि हर बार जब कोई एथलीट थोड़ी देर चूक जाता है, तो पेरिस में साजिशें शुरू हो जाती हैं।
SAI JENA
अग॰ 7, 2024 AT 11:51 पूर्वाह्नमनु की उपलब्धियों को देखते हुए, हमें उनके प्रशिक्षण और मनोवैज्ञानिक समर्थन को मजबूत करने के लिए नीतिगत कदम उठाने चाहिए।