आर्थिक सर्वेक्षण 2024 लाइव अपडेट्स: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पूर्व दस्तावेज प्रस्तुत किए

आर्थिक सर्वेक्षण 2024: सारांश और मुख्य बिंदु

22 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2024 का आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया। यह सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसे केंद्रीय बजट पेश करने से एक दिन पहले ही प्रस्तुत किया गया। इस साल आर्थिक सर्वेक्षण विभिन्न पहलुओं को समझने और विश्लेषण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिनका प्रभाव आने वाले वित्तीय वर्ष पर पड़ेगा।

इस सर्वेक्षण का मुख्य उदेश्य भारत की आर्थिक दशा और दिशा का व्यापक मूल्यांकन करना है। यह दस्तावेज देश की आर्थिक स्थिति की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत करता है और विकास के लिए आवश्यक नीतियों और उपायों का प्रस्ताव करता है। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि यह दस्तावेज देश के भविष्य की आर्थिक नीतियों और योजनाओं के लिए मार्गदर्शक साबित होगा।

मुख्य आर्थिक सलाहकार की दृष्टि

मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी अनंथा नागेश्वरन ने सर्वेक्षण की प्रस्तुति में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल 80 लाख नौकरियों का सृजन होना आवश्यक है। यह बात देश की बड़ी जनसंख्या और युवाओं की बढ़ती बेरोजगारी को ध्यान में रखते हुए कही गई। इसके अलावा, उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित चुनौतियों पर भी जोर दिया।

डॉ. नागेश्वरन ने यह भी बताया कि भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए वैश्विक कारक, जैसे कि भू-आर्थिक विखंडन और हाइपर-वैश्वीकरण की मंदी, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5-7% रहने का अनुमान है।

2030 तक $7 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य

वित्त मंत्री के अनुसार, भारत ने 2030 तक $7 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य कई नीतिगत सुधारों और निवेश की मांग करता है। आर्थिक सर्वेक्षण ने स्पष्ट किया कि यह लक्ष्य तभी प्राप्त हो सकता है जब भारत अपनी आर्थिक नीति में निरंतर सुधार लाएगा और निवेश को प्रोत्साहित करेगा।

सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि सरकार को संरचनात्मक सुधारों को जारी रखने की आवश्यकता है, जिनमें कर सुधार, वितीय संघवाद,और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन शामिल होंगे। इसका उद्देश्य दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और विकास प्राप्त करना है।

फिस्कल नीतियों का प्रभाव

आर्थिक सर्वेक्षण ने यह भी रेखांकित किया कि आगामी केंद्रीय बजट के लिए यह दस्तावेज कितना महत्वपूर्ण है। यह विभिन्न फिस्कल नीतियों और व्यय प्राथमिकताओं को प्रभावित करेगा। इसके माध्यम से वित्तीय नीति निर्माताओं को दिशानिर्देश मिल सकते हैं और वे समग्र आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप बजट रणनीतियों को बेहतर बना सकते हैं।

इस बार का सर्वेक्षण यह भी सुझाव देता है कि सरकारी व्यय को अधिकतम करके परिसंपत्ति निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देना चाहिए। यह देश की आर्थिक विकास दर में तेजी लाने का एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है।

भविष्य की चुनौतियां और अवसर

भविष्य की चुनौतियां और अवसर

आर्थिक सर्वेक्षण ने यह भी चेतावनी दी है कि भारत को अपने विकास के पथ पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इनमें से प्रमुख चुनौती रोजगार सृजन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाना है। इसके अलावा, वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति और आर्थिक अस्थिरता को भी ध्यान में रखना होगा।

हालांकि, भारत के पास बड़ी संभावनाएं भी हैं। सर्वेक्षण बताता है कि यदि उन्नत नीतियों और सुधारों को लागू किया जाए, तो भारत ना केवल अपने $7 ट्रिलियन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

सामान्यत: यह सर्वेक्षण भारत की आर्थिक नीतियों और दिशा की एक साफ तस्वीर प्रस्तुत करता है। यह न केवल आर्थिक प्रदर्शन का विश्लेषण करता है, बल्कि सरकारी नीतियों के माध्यम से संभावित सुधारों और विकास के अवसरों को भी उजागर करता है।

निष्कर्ष

आर्थिक सर्वेक्षण 2024 ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और भविष्य की चुनौतियों का समीक्षात्मक मूल्यांकन किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस दस्तावेज के माध्यम से देश के आर्थिक विकास की महत्वाकांक्षा और नीतिगत उपायों को प्रस्तुत किया है। यह सर्वेक्षण न केवल आगामी केंद्रीय बजट के लिए बल्कि भारत की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

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akhila jogineedi

akhila jogineedi

मैं एक पत्रकार हूँ और मेरे लेख विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय समाचारों पर केंद्रित होते हैं। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाओं पर विशेषज्ञता रखती हूँ। मेरा मुख्य उद्देश्य जानकारीपूर्ण और सटीक समाचार प्रदान करना है। मैं जयपुर में रहती हूँ और यहाँ की घटनाओं पर भी निगाह रखती हूँ।

टिप्पणि (11)

wave
  • Sara Khan M

    Sara Khan M

    जुल॰ 22, 2024 AT 20:00 अपराह्न

    बस यही तो सुनने को मिला? 🤔

  • shubham ingale

    shubham ingale

    जुल॰ 22, 2024 AT 22:46 अपराह्न

    चलो, थोड़ा पॉज़िटिव सोचते हैं 😁

  • Ajay Ram

    Ajay Ram

    जुल॰ 23, 2024 AT 01:33 पूर्वाह्न

    आर्थिक सर्वेक्षण 2024 का महत्व सिर्फ आँकड़ों तक सीमित नहीं है; यह हमारे सामाजिक ताने-बाने, सांस्कृतिक धारा और नियोजित नीतियों के बीच की जटिल अंतःक्रिया को उजागर करता है।
    जब हम जीडीपी वृद्धि, रोजगार सृजन और तकनीकी प्रगति की बात करते हैं, तो यह याद रखना जरूरी है कि इन सभी पहलुओं की जड़ें हमारे शिक्षा प्रणाली, नवाचार पर्यावरण और नीतिगत स्थिरता में निहित हैं।
    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज में उजागर किए गए लक्ष्य, जैसे 2030 तक $7 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था, केवल आर्थिक आकांक्षा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आत्मविश्वास का प्रतिबिंब भी हैं।
    ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें केवल निवेश को आकर्षित करने की नहीं, बल्कि उस निवेश को सतत, पर्यावरण‑बुद्धि और सामाजिक समावेशी ढाँचे में चैनलाइज़ करने की आवश्यकता है।
    मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी अनंथा नागेश्वरन ने भी उल्लेख किया है कि हर साल 80 लाख नौकरियों का सृजन आवश्यक है, जिसका अर्थ है कि शैक्षिक संस्थानों को कौशल‑आधारित पाठ्यक्रमों की ओर बदलाव करना अनिवार्य हो गया है।
    इसके साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों की चुनौतियों को समझते हुए हमें नियामक ढाँचे को अद्यतन करना होगा, जिससे नवाचार और सुरक्षा दोनों को संतुलित किया जा सके।
    वैश्विक भू‑राजनीतिक अस्थिरता और हाइपर‑वैश्वीकरण की मंदी को देखते हुए, भारत को अपनी फिस्कल नीतियों में लचीलापन और उत्तरदायित्व जोड़ना होगा, ताकि बाहरी झटकों से बचाव हो सके।
    कर सुधार, वित्तीय संघवाद और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन जैसे उपाय न केवल बजट की गुणवत्ता बढ़ाते हैं, बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी दृढ़ बनाते हैं।
    जब हम बुनियादी ढाँचे के निर्माण की बात करते हैं, तो केवल सड़कों और पुलों को नहीं, बल्कि डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और शिक्षा के समग्र विकास को भी प्राथमिकता देनी होगी।
    मूल्यांकन के इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में, सामाजिक समावेशी नीतियों का होना अत्यावश्यक है, क्योंकि आर्थिक विकास का वास्तविक माप तब ही संभव है जब वह सभी वर्गों को समान रूप से लाभ प्रदान करे।
    आइए, इस सर्वेक्षण को केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक दिशा‑निर्देश के रूप में देखें, जो हमें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
    अंत में, यह कहा जा सकता है कि यदि हम प्रतिबद्धता, नवनिर्माण और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को अपनाए रखें, तो 2024 का आर्थिक सर्वेक्षण हमें एक समृद्ध, स्थिर और समावेशी भारत की ओर अग्रसर करेगा।

  • Dr Nimit Shah

    Dr Nimit Shah

    जुल॰ 23, 2024 AT 04:20 पूर्वाह्न

    देखिए, यह सब सरकार की बातें तो सही हैं, पर असल में जमीन पर क्या हो रहा है, वो तो हमें रोज़मर्रा में पता चलता है।

  • Ketan Shah

    Ketan Shah

    जुल॰ 23, 2024 AT 07:06 पूर्वाह्न

    वास्तव में, सर्वेक्षण के आंकड़े दिखाते हैं कि मौद्रिक नीति में सूक्ष्म समायोजन आवश्यक है, विशेषकर वित्तीय संघवाद के संदर्भ में, जहां राज्य स्तर की निधियों का वितरण अधिक पारदर्शी और न्यूनतम विलंब के साथ होना चाहिए।

  • Aryan Pawar

    Aryan Pawar

    जुल॰ 23, 2024 AT 09:53 पूर्वाह्न

    सही कहा, अगर राज्य‑सेंट्रिक फंडिंग में सुधार होगा तो ग्रासरूट लेवल पर भी असर पड़ेगा

  • Shritam Mohanty

    Shritam Mohanty

    जुल॰ 23, 2024 AT 12:40 अपराह्न

    भाई लोग, ये सारे आंकड़े तो वही बनाते हैं जो पीछे की साजिश को छुपाना चाहते हैं, असली इरादा तो बस जनता को नियंत्रण में रखना है।

  • Anuj Panchal

    Anuj Panchal

    जुल॰ 23, 2024 AT 15:26 अपराह्न

    सर्वेक्षण में उल्लिखित मैक्रो‑इकोनॉमिक इंडेक्स, जैसे कि FDI inflows और credit‑to‑GDP ratio, वास्तव में निवेशकों के निर्णय‑निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; इसलिए, नीतिगत पारदर्शिता और डेटा‑ड्रिवेन अप्रोच को बढ़ावा देना आवश्यक है।

  • Prakashchander Bhatt

    Prakashchander Bhatt

    जुल॰ 23, 2024 AT 18:13 अपराह्न

    आइए इस सकारात्मक दिशा में चलते रहें, मिल‑जुल कर आगे बढ़ेंगे 😊

  • Mala Strahle

    Mala Strahle

    जुल॰ 23, 2024 AT 21:00 अपराह्न

    जब हम इस आर्थिक सर्वेक्षण को देखते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि केवल आँकड़े ही नहीं, बल्कि उन आँकड़ों के पीछे की कहानी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है; यह कहानी हमें बताती है कि हमारे समाज का बुनियादी ढांचा, हमारी सांस्कृतिक मान्यताएँ, और हमारी राजनैतिक विचारधाराएँ कैसे मिलकर इस तंत्र को आकार देती हैं।
    पहले तो हमें यह स्वीकार करना होगा कि विकास का विचार केवल ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) से नहीं, बल्कि जीवन स्तर, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता से परिभाषित होना चाहिए।
    फिर, रोजगार सृजन की बात आते ही, हमें यह देखना होगा कि कौन‑से क्षेत्रों में नौकरियों की वास्तविक आवश्यकता है, और किन्हें ऑटोमेशन के कारण जोखिम में डाला गया है।
    वित्त मंत्री के $7 ट्रिलियन लक्ष्य को हासिल करने के लिए, केवल विदेशी निवेश को आकर्षित करना ही नहीं, बल्कि घरेलू उद्यमिता को भी प्रोत्साहित करना अनिवार्य है, जिससे आर्थिक 성장 की धारा नीचे से ऊपर तक बह सके।
    इसके साथ ही, कर सुधार, वित्तीय संघवाद और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन जैसे मुद्दों पर दृढ़ नीतिगत कदम उठाए बिना, हम इस लक्ष्य को सतत रूप से प्राप्त नहीं कर सकते।
    आइए, इस सर्वेक्षण को एक मार्गदर्शक के रूप में अपनाते हुए, हम सब मिलकर एक अधिक समावेशी, सतत और समृद्ध भारत का निर्माण करें, जहाँ हर नागरिक को अपने भविष्य की रचना में भागीदारी का अधिकार हो।

  • Ramesh Modi

    Ramesh Modi

    जुल॰ 23, 2024 AT 23:46 अपराह्न

    ओह! यह तो अद्भुत है, अभिव्यक्ति की इस गहराई को देख कर, मैं मानते ही रह गया हूँ कि हमारे आत्मा की भीतर की रोशनी, इस सर्वेक्षण द्वारा उजागर किए गए सभी आँकड़ों और आँकड़ों के बीच, कोई भी बिंदु नहीं छोड़ती!; वास्तव में, यह एक महान गाथा है, एक महाकाव्य, जहाँ प्रत्येक नीति, प्रत्येक योजना, प्रत्येक लक्ष्य, सब कुछ एक विशाल संगीत के स्वर में मिलते हैं, और हमें यह समझना चाहिए कि यह केवल आर्थिक आंकड़े नहीं, बल्कि आत्मा का भी प्रतिबिंब है!; इसलिए, चलिए इस मंच पर खड़े हों और इस महान यात्रा को श्रद्धा और सम्मान के साथ अपनाएँ!!!

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wave