जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक घटनाक्रम
हाल ही के चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस ने गठबंधन कर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत किया है। उमर अब्दुल्ला, जिन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए नामांकित किया गया है, ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और अपने गठबंधन पार्टियों के समर्थन पत्र प्रस्तुत किए। इस गठबंधन में कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आम आदमी पार्टी और चार निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
मतदाता समर्थन का महत्व
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 42 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस ने 6 सीटें हासिल की हैं। दोनों पार्टियों का मिलाकर एक सशक्त बहुमत है। विधानसभा में कुल 95 सदस्य होते हैं, जिसमें से पांच सदस्य उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
आंकड़े बताते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का यह गठबंधन विधानसभा में निर्णय लेने की शक्ति रखता है। यूं कह सकते हैं कि गठबंधन का यह प्रयास राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में।
उमर अब्दुल्ला की भूमिका
उमर अब्दुल्ला को नेशनल कॉन्फ्रेंस लीगलिसलेटिव पार्टी के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुना गया, जिससे उनका दूसरा कार्यकाल बतौर मुख्यमंत्री सुनिश्चित होता दिख रहा है। 2009 से 2014 के बीच भी उन्होंने एनसी-कांग्रेस गठबंधन सरकार के मुखिया के रूप में प्रदेश का नेतृत्व किया था।
गठबंधन का दावा करने के बाद अब्दुल्ला ने जोर दिया कि शपथ ग्रहण समारोह को शीघ्र आयोजित किया जाए जिससे कि नवनिर्वाचित सरकार कार्यभार संभाल सके। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय शासन के चलते इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है। सभी दस्तावेज राष्ट्रपति भवन में भेजे जाएंगे जिससे कि गृह मंत्रालय आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर सके।

समारोह और चुनौतियाँ
उमर अब्दुल्ला ने संकेत दिया है कि शपथ ग्रहण समारोह बुधवार तक संभव हो सकता है, यदि सभी प्रक्रियाएं शीघ्रता से संपन्न हो जाती हैं। उनका मानना है कि प्रदेश की समस्याओं को हल करने के लिए सरकार का गठन तत्काल होना चाहिए।
कांग्रेस के प्रसिद्ध विधायकों ने दिल्ली में उच्च कमान से मुलाकात कर पार्टी के लिए अपने विधानमंडल का नेता चुनने का अधिकार दिया। यह एकता और समझौते का परिणाम है कि कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से एनसी को समर्थन देकर गठबंधन को मजबूत किया है।
इस प्रयास से जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक दिशा में एक नई सुगंध आएगी। गठबंधन सरकार बनने के बाद यह देखना होगा कि ये पार्टियां किस प्रकार अपने वादों को पूरा करती हैं और प्रदेश में स्थिरता और विकास लाती हैं। मतदाताओं की उम्मीदें पूरी करना इस नवगठित गठबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी होगी।
sujaya selalu jaya
अक्तू॰ 12, 2024 AT 07:25 पूर्वाह्नNC‑कांग्रेस गठबंधन के साथ सरकार बनाना सकारात्मक दिशा है।
Ranveer Tyagi
अक्तू॰ 13, 2024 AT 09:13 पूर्वाह्नयार ये तो बड़िया खबर है!! गठबंधन से स्थिरता आएगी, विकास के नए प्रोजेक्ट्स शुरू होंगे, और सबसे ज़्यादा अहम बात यह है कि विभिन्न पार्टियों के बीच समझौता हो रहा है, जिससे नीति बनती है बहुत ज़्यादा इन्क्लूसिव!! ज़रुरी है कि सब मिलके काम करे, नहीं तो पुरानी राजनीति फिर से उबड़-खाबड़ हो जाएगी!!
Tejas Srivastava
अक्तू॰ 13, 2024 AT 23:06 अपराह्नवाह! जम्मू‑कश्मीर की राजनीति में अब एक नया अध्याय शुरू हो रहा है... NC और कांग्रेस का गठबंधन, जैसे सर्दियों में धूप की किरण, सभी को आशा की रोशनी दिखा रहा है... लेकिन इस चमक को टिकाने के लिये शांति और समझदारी का संगम आवश्यक है... हमें इस वादे को साकार करने के लिये मिलकर आगे बढ़ना होगा!!
JAYESH DHUMAK
अक्तू॰ 14, 2024 AT 13:00 अपराह्ननेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन जम्मू‑कश्मीर की बहुपक्षीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ दर्शाता है।
इस गठबंधन ने विधानसभा में बहुमत हासिल किया है, जिससे विधायी कार्यवाही में स्थिरता की संभावना बढ़ती है।
उमर अब्दुल्ला का दोबारा मुख्यमंत्री पद पर चुनना नेतृत्व में निरंतरता का संकेत देता है।
पिछले कार्यकाल में उनके द्वारा लागू किए गए विकासात्मक कदमों की पुनरावृत्ति की उम्मीद है।
हालांकि, केंद्र सरकार की अनुमति और संविधान की शर्तें इस प्रक्रिया को जटिल बना सकती हैं।
गठबंधन में शामिल अन्य दल, जैसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और आम आदमी पार्टी, विभिन्न सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
इसके कारण नीति निर्माण में सामाजिक न्याय और आर्थिक समावेशन को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
गठबंधन का एक प्रमुख उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करना और राजनीतिक अस्थिरता को कम करना है।
इस दिशा में, स्थानीय प्रशासनिक संस्थानों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता होगी।
शपथ ग्रहण समारोह की शीघ्रता से आयोजित होने से प्रशासनिक कार्यवाही में देरी नहीं होगी।
लेकिन प्रक्रियात्मक बाधाओं के कारण समय सीमा में परिवर्तन संभव हो सकता है।
नागरिकों को यह आशा है कि नई सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में tangible सुधार लाएगी।
आर्थिक निवेश को आकर्षित करने हेतु स्पष्ट नीतियों की आवश्यकता होगी, जो विदेशी और राष्ट्रीय दोनों निवेशकों को प्रेरित करे।
सामाजिक मान्यताओं और सांस्कृतिक विविधताओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार को समावेशी संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिए।
यदि गठबंधन अपने वादे को साकार कर पाता है, तो यह प्रदेश में स्थिरता और विकास का मॉडल बन सकता है।
अन्यथा, असंतोष और विरोध की आवाज़ें फिर से उभर सकती हैं, जिससे राजनीतिक माहौल अस्थिर हो सकता है।
Santosh Sharma
अक्तू॰ 15, 2024 AT 02:53 पूर्वाह्नगठबंधन की शक्ति को उपयोग में लाते हुए, सभी पक्षों को तेज़ी से कार्यान्वयन के लिए सहयोग करना चाहिए। यह समय है कि हम मिलजुल कर विकास के लक्ष्य को प्राप्त करें।
yatharth chandrakar
अक्तू॰ 15, 2024 AT 16:46 अपराह्नगठबंधन की नीति दिशा को स्पष्ट करने के लिये, आर्थिक योजना और सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। यह सूक्ष्म विश्लेषण आगे की सफलता को निर्धारित करेगा।
Vrushali Prabhu
अक्तू॰ 16, 2024 AT 06:40 पूर्वाह्नवाह भइया, इस गठ्बंधन से पूरा रंगीन माहौल बन रहा है!! जिंदादिल लोगों को देखके तो दिल खुश हो जाता है-छोटे‑छोटे सपने अब सच हो सकते हैं!!
parlan caem
अक्तू॰ 16, 2024 AT 20:33 अपराह्नसिर्फ गठबंधन का दावा नहीं, वास्तविक कदमों की कमी अक्सर देखी जाती है, इसलिए सतर्क रहना ज़रूरी है।