नवरात्रि में रंगों का विशिष्ट महत्व
प्रत्येक साल दो बार मनाया जाने वाला नवरात्रि सिर्फ पूजा‑पाठ नहीं, बल्कि रंग‑बिरंगी परिधान की भी धूम है। शरद‑वसंत दोनों रुतुओं में नौ रातें होती हैं, जिनमें दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों को अलग‑अलग रंगों से जोड़ना आजकल भारतीय घरों में एक स्थायी परम्परा बन चुका है, जिससे लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आशा की रोशनी पहनते हैं।
वास्तव में यह रंग‑रिवाज 2003 में महाराष्ट्र टाइम्स ने अपनी महिला पाठकों को आकर्षित करने के लिये एक मार्केटिंग कैंपेन के रूप में शुरू किया था। उन्होंने नौ रंगों को दुर्गा के नौ अवतारों से मिलाया, और धीरे‑धीरे यह अभ्यास पूरे देश में लोकप्रिय हो गया। अब यह परम्परा नवरात्रि के उत्सव का अभिन्न हिस्सा बन गई है।
हर दिन का रंग और उससे जुड़ी देवी
- पहला दिन – सफ़ेद (शैलपुत्री): शुद्धता, शांति और नई शुरुआत का प्रतीक। सफ़ेद पहनने से मन को शुद्ध किया जाता है और माँ शैलपुत्री के अनुग्रह की कामना की जाती है।
- दूसरा दिन – लाल (ब्राह्मचारिणी): प्रेम, ऊर्जा और साहस का रंग। लाल रंग से उत्साह बढ़ता है और यह देवी को अर्पित चूड़ी के लिए सबसे प्रिय रंग भी है।
- तीसरा दिन – रोयल ब्लू (चंद्रघंटा): दिव्य शक्ति, स्थिरता और शान्ति का प्रतीक। इस गहरे नीले रंग से आध्यात्मिक गहराई मिलती है, जिससे भक्त माँ चंद्रघंटा के साथ जुड़ते हैं।
- चारथा दिन – पीला (कुशमंदा): खुशहाली, आशावाद और उज्ज्वलता लाता है। पीला रंग जीवन में नकारात्मकता दूर करके सकारात्मक ऊर्जा भरता है।
- पाँचवां दिन – हरा (स्कंदमाता): समृद्धि, विकास और प्रकृति की भलाई दर्शाता है। यह रंग संतुलन, प्रजनन और माँ की पोषक शक्ति को उजागर करता है।
- छठा दिन – स्लेटी (कट्यायनी): मजबूती, संतुलन और सूक्ष्मता का रंग। यह तटस्थ शेड जीवन की चुनौतियों में स्थिरता प्रदान करता है।
- सातवां दिन – नारंगी (कालरात्रि): ऊर्जा, उत्साह और साहस का प्रतीक। नारंगी रंग देवी की भयानक रूप से जीतने वाली शक्ति को दर्शाता है।
- आठवां दिन – मोरहरा हरा (महागौरी): सौंदर्य, अनुग्रह और सकारात्मकता की झलक। यह अनोखा शेड माँ महागौरी की पावनता को प्रतिबिंबित करता है।
- नौवां दिन – गुलाबी (सिद्धिदात्री): प्रेम, कोमलता और खुशी का रंग। अंत में गुलाबी पहनने से उत्सव की मधुर समाप्ति होती है और इच्छाओं की पूर्ति की आशा बढ़ती है।
रंगों के साथ नवरात्रि में कई और रीति‑रिवाज़ होते हैं। भक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों में जाकर गुंजायमान ध्वनियों के साथ कीर्तन सुनते हैं, और गरबा‑डांडिया जैसे लोक नृत्य में भाग लेते हैं। घर में खास पकवान जैसे फालूदा, फुडका, राजवा आदि बनाकर सजाते हैं, जिससे त्यौहार की मिठास बढ़ती है।
समय के साथ यह परम्परा सामाजिक स्तर पर भी गूँजती है। लोग अपने पारिवारिक समारोहों में रंग‑रली के लिए धारीदार साड़ियां, कुर्तियां, लहंगे और खूबसूरत चूड़ियों का चयन करते हैं, जिससे हर घर में उत्सव की रंगीन माहौल बनता है। कई लोग मानते हैं कि इस रंग‑पद्धति का पालन करने से भाग्य में सुधार, सुख‑शांति और मनोकामना की पूर्ति मिलती है।
Rashi Jaiswal
सित॰ 23, 2025 AT 20:58 अपराह्नरंगों का जादू हमें हर दिन नई ऊर्जा देता है। सफ़ेद से शुरू करके धीरे‑धीरे रंग बदलते देखना मन को प्रसन्न करता है।
नवरात्रि में इन रंगों को अपनाने से जीवन में सकारात्मकता आती है।