नवरात्रि 2022 में इन नौ रंगों को पहनें, मनाएँ देवी दुर्गा के नौ स्वरूप

नवरात्रि में रंगों का विशिष्ट महत्व

प्रत्येक साल दो बार मनाया जाने वाला नवरात्रि सिर्फ पूजा‑पाठ नहीं, बल्कि रंग‑बिरंगी परिधान की भी धूम है। शरद‑वसंत दोनों रुतुओं में नौ रातें होती हैं, जिनमें दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों को अलग‑अलग रंगों से जोड़ना आजकल भारतीय घरों में एक स्थायी परम्परा बन चुका है, जिससे लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आशा की रोशनी पहनते हैं।

वास्तव में यह रंग‑रिवाज 2003 में महाराष्ट्र टाइम्स ने अपनी महिला पाठकों को आकर्षित करने के लिये एक मार्केटिंग कैंपेन के रूप में शुरू किया था। उन्होंने नौ रंगों को दुर्गा के नौ अवतारों से मिलाया, और धीरे‑धीरे यह अभ्यास पूरे देश में लोकप्रिय हो गया। अब यह परम्परा नवरात्रि के उत्सव का अभिन्न हिस्सा बन गई है।

हर दिन का रंग और उससे जुड़ी देवी

  • पहला दिन – सफ़ेद (शैलपुत्री): शुद्धता, शांति और नई शुरुआत का प्रतीक। सफ़ेद पहनने से मन को शुद्ध किया जाता है और माँ शैलपुत्री के अनुग्रह की कामना की जाती है।
  • दूसरा दिन – लाल (ब्राह्मचारिणी): प्रेम, ऊर्जा और साहस का रंग। लाल रंग से उत्साह बढ़ता है और यह देवी को अर्पित चूड़ी के लिए सबसे प्रिय रंग भी है।
  • तीसरा दिन – रोयल ब्लू (चंद्रघंटा): दिव्य शक्ति, स्थिरता और शान्ति का प्रतीक। इस गहरे नीले रंग से आध्यात्मिक गहराई मिलती है, जिससे भक्त माँ चंद्रघंटा के साथ जुड़ते हैं।
  • चारथा दिन – पीला (कुशमंदा): खुशहाली, आशावाद और उज्ज्वलता लाता है। पीला रंग जीवन में नकारात्मकता दूर करके सकारात्मक ऊर्जा भरता है।
  • पाँचवां दिन – हरा (स्कंदमाता): समृद्धि, विकास और प्रकृति की भलाई दर्शाता है। यह रंग संतुलन, प्रजनन और माँ की पोषक शक्ति को उजागर करता है।
  • छठा दिन – स्लेटी (कट्यायनी): मजबूती, संतुलन और सूक्ष्मता का रंग। यह तटस्थ शेड जीवन की चुनौतियों में स्थिरता प्रदान करता है।
  • सातवां दिन – नारंगी (कालरात्रि): ऊर्जा, उत्साह और साहस का प्रतीक। नारंगी रंग देवी की भयानक रूप से जीतने वाली शक्ति को दर्शाता है।
  • आठवां दिन – मोरहरा हरा (महागौरी): सौंदर्य, अनुग्रह और सकारात्मकता की झलक। यह अनोखा शेड माँ महागौरी की पावनता को प्रतिबिंबित करता है।
  • नौवां दिन – गुलाबी (सिद्धिदात्री): प्रेम, कोमलता और खुशी का रंग। अंत में गुलाबी पहनने से उत्सव की मधुर समाप्ति होती है और इच्छाओं की पूर्ति की आशा बढ़ती है।

रंगों के साथ नवरात्रि में कई और रीति‑रिवाज़ होते हैं। भक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों में जाकर गुंजायमान ध्वनियों के साथ कीर्तन सुनते हैं, और गरबा‑डांडिया जैसे लोक नृत्य में भाग लेते हैं। घर में खास पकवान जैसे फालूदा, फुडका, राजवा आदि बनाकर सजाते हैं, जिससे त्यौहार की मिठास बढ़ती है।

समय के साथ यह परम्परा सामाजिक स्तर पर भी गूँजती है। लोग अपने पारिवारिक समारोहों में रंग‑रली के लिए धारीदार साड़ियां, कुर्तियां, लहंगे और खूबसूरत चूड़ियों का चयन करते हैं, जिससे हर घर में उत्सव की रंगीन माहौल बनता है। कई लोग मानते हैं कि इस रंग‑पद्धति का पालन करने से भाग्य में सुधार, सुख‑शांति और मनोकामना की पूर्ति मिलती है।

नवरात्रि रंग देवी दुर्गा परंपरा
akhila jogineedi

akhila jogineedi

मैं एक पत्रकार हूँ और मेरे लेख विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय समाचारों पर केंद्रित होते हैं। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाओं पर विशेषज्ञता रखती हूँ। मेरा मुख्य उद्देश्य जानकारीपूर्ण और सटीक समाचार प्रदान करना है। मैं जयपुर में रहती हूँ और यहाँ की घटनाओं पर भी निगाह रखती हूँ।

टिप्पणि (17)

wave
  • Rashi Jaiswal

    Rashi Jaiswal

    सित॰ 23, 2025 AT 20:58 अपराह्न

    रंगों का जादू हमें हर दिन नई ऊर्जा देता है। सफ़ेद से शुरू करके धीरे‑धीरे रंग बदलते देखना मन को प्रसन्न करता है।
    नवरात्रि में इन रंगों को अपनाने से जीवन में सकारात्मकता आती है।

  • Maneesh Rajput Thakur

    Maneesh Rajput Thakur

    सित॰ 26, 2025 AT 04:31 पूर्वाह्न

    नवीनतम शोध से पता चलता है कि 2003 में ही यह रंग‑परम्परा एक विज्ञापन अभियान के तहत शुरू हुई थी। दुर्भाग्य से कई लोग इसे सिर्फ झंझट समझते हैं, जबकि इसका आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। इसलिए अंधविश्वास नहीं, बल्कि संस्कृति को समझकर अपनाना चाहिए।

  • ONE AGRI

    ONE AGRI

    सित॰ 28, 2025 AT 12:05 अपराह्न

    हिंदुस्तान की धरती पर जब से शैलपुत्री का सम्मान हुआ है, तब से महिला शक्ति का प्रतीक रंगों में बँधा रहा है। हमारे यहाँ के हर ग्राम में ये नौ रंग अब पोशाक का हिस्सा बन चुके हैं, और यह हमारे सांस्कृतिक गर्व को दर्शाता है। लेकिन कुछ बाहरी लोग इसे सिर्फ व्यापारिक चाल समझते हैं, जो पूरी बात नहीं है। हमें इस परम्परा को सम्मान देना चाहिए और इसे विदेश में भी पहचान दिलानी चाहिए। इसी कारण से हर घर में ये रंगों की गणना भी यहीं से शुरू होती है।

  • Himanshu Sanduja

    Himanshu Sanduja

    सित॰ 30, 2025 AT 19:38 अपराह्न

    सच में, रंगों की ऊर्जा को महसूस करना आसान नहीं, पर थोड़ा‑थोड़ा ध्यान देने से मन शांत हो जाता है। सफ़ेद पर शांती, लाल पर उत्साह, और हरा पर समृद्धि मिलती है। यह विचार मेरे दादाजी ने भी बताया था जो हमेशा इस बात पर ज़ोर देते थे।

  • Kiran Singh

    Kiran Singh

    अक्तू॰ 3, 2025 AT 03:11 पूर्वाह्न

    मजेदार! 🌈

  • Balaji Srinivasan

    Balaji Srinivasan

    अक्तू॰ 5, 2025 AT 10:45 पूर्वाह्न

    रंगों के चयन में व्यक्तिगत पसंद बहुत मायने रखती है, इसलिए आराम से सोचें।

  • Hariprasath P

    Hariprasath P

    अक्तू॰ 7, 2025 AT 18:18 अपराह्न

    are apearntly yeh tradtion ka root marketing se ha, lekin humare liye yeh spiritual represetnation b bhi ha.

  • Vibhor Jain

    Vibhor Jain

    अक्तू॰ 10, 2025 AT 01:51 पूर्वाह्न

    ओह, जैसे ही हम रंग चुनते हैं, सभी समस्याएं गायब हो जाती हैं, है ना? वास्तव में थोड़ी सी मेहनत से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।

  • Rashi Nirmaan

    Rashi Nirmaan

    अक्तू॰ 12, 2025 AT 09:25 पूर्वाह्न

    यह नवरात्रि का रंगावली प्रणाली मूलतः व्यावसायिक प्रयोजन द्वारा निर्मित है, तथा इसे अंधविश्वास के रूप में निरूपित करना विवेकहीनता के दायरे में आता है। ऐसे चलन को राष्ट्रीय एकता के कठोर अनुशासन में बाधा माना जाना चाहिए।

  • Ashutosh Kumar Gupta

    Ashutosh Kumar Gupta

    अक्तू॰ 14, 2025 AT 03:05 पूर्वाह्न

    यह पुजारी परम्परा का गहरा स्वर है, जिसे हम भूल नहीं सकते।

  • fatima blakemore

    fatima blakemore

    अक्तू॰ 15, 2025 AT 20:45 अपराह्न

    रंग हमारे मन की अवस्था को प्रतिबिंबित करते हैं; वही बढ़ते शिखर पर पहुंचते हैं जब आत्मा शुद्ध हो। इस नवरात्रि में प्रत्येक रंग को अपनाना स्वयं को समझने का एक कदम है।

  • vikash kumar

    vikash kumar

    अक्तू॰ 17, 2025 AT 14:25 अपराह्न

    प्राचीन ग्रंथों में वर्णित सप्तवर्णीय सिद्धान्त और नवीन नौवर्णीय परिधान के मध्य एक सूक्ष्म व्याख्यात्मक अंतर विद्यमान है, जिससे इस परम्परा को शैक्षणिक दृष्टि से पुनः मूल्यांकन की आवश्यकता है।

  • Anurag Narayan Rai

    Anurag Narayan Rai

    अक्तू॰ 18, 2025 AT 18:11 अपराह्न

    नवरात्रि की नौ रंगीन परम्परा वास्तव में भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की गहरी जड़ें दर्शाती है।
    प्रत्येक रंग न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि मानसिक स्थिति और आध्यात्मिक संकेत भी प्रदान करता है।
    सफ़ेद का चयन शैलपुत्री के शुद्ध हृदय को दर्शाता है, जिससे मन में शांति का संचार होता है।
    लाल रंग को ब्राह्मचारिणी के साहस और प्रेम के रूप में देखा जाता है, जो जीवनी शक्ति को उजागर करता है।
    रोयल ब्लू, जिसे चंद्रघंटा से जोड़ा गया है, गहरी आध्यात्मिक स्थिरता और अंतर्दृष्टि को संकेतित करता है।
    पीला रंग, कुशमंदा द्वारा धारण किया गया, सकारात्मकता और आशावाद को बढ़ावा देता है।
    हरा, स्कंदमाता का प्रतीक, प्रगति और प्राकृतिक संतुलन के साथ जुड़ा है।
    स्लेटी, कट्यायनी का रंग, जीवन के संघर्ष में संतुलन और दृढ़ता प्रदान करता है।
    नारंगी, कालरात्रि के ऊर्जा स्रोत का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे उत्साह और शक्ति मिलती है।
    मोरहरा हरा, महागौरी की अनन्य स्वरूपता, सौंदर्य और शुद्धता को समाहित करता है।
    गुलाबी रंग, सिद्धिदात्री के कोमल प्रेम को दर्शाता है, जो मन को सुकून देता है।
    इन सभी रंगों को क्रमशः अपनाने से न केवल पूजा में सौंदर्य बढ़ता है, बल्कि व्यक्तिगत विकास में भी मदद मिलती है।
    जब लोग अपने पोशाक में इन रंगों को सम्मिलित करते हैं, तो सामाजिक बंधन और सामुदायिक भावना भी सुदृढ़ होती है।
    वर्तमान समय में, इन रंगों की लोकप्रियता विज्ञापन उद्योग के प्रभाव से भी जुड़ी हुई है, परन्तु इसका मूल उद्देश्य आध्यात्मिक संतुलन बनाना है।
    अतः, यदि हम प्रत्येक रंग के अर्थ को समझकर, अपने जीवन में समावेशित करें तो नवरात्रि का उत्सव वास्तव में एक आध्यात्मिक यात्रा बन जाएगा।

  • Sandhya Mohan

    Sandhya Mohan

    अक्तू॰ 19, 2025 AT 21:58 अपराह्न

    रंग हमारे अंदर के भावों के प्रतिबिंब होते हैं; इन्हें अपनाकर ही हम अपनी आत्मा को नई ऊर्जा दे सकते हैं। इस प्रकार नवरात्रि का उत्सव आत्म-खोज की प्रक्रिया बन जाता है।

  • Prakash Dwivedi

    Prakash Dwivedi

    अक्तू॰ 21, 2025 AT 01:45 पूर्वाह्न

    रंगों की शक्ति का वैज्ञानिक प्रमाण न्यूरोकेमिकल रिस्पॉन्स में निहित है, जो हमारे मानसिक स्थिरता को बढ़ावा देता है। इस कारण से नवरात्रि के दौरान उचित रंग चयन न केवल आध्यात्मिक, बल्कि शारीरिक लाभ भी प्रदान करता है।

  • Rajbir Singh

    Rajbir Singh

    अक्तू॰ 22, 2025 AT 05:31 पूर्वाह्न

    परम्परा की ऐतिहासिक उत्पत्ति को समझना आवश्यक है, परन्तु इसे व्यावसायिक रूप से उपयोग करना सामाजिक मूल्यों पर प्रश्न उठाता है।

  • Swetha Brungi

    Swetha Brungi

    अक्तू॰ 23, 2025 AT 09:18 पूर्वाह्न

    हर रंग के साथ एक छोटी सी मनःस्थिति अभ्यास जोड़िए, इससे नवरात्रि के उत्सव में गहराई आएगी और सकारात्मक ऊर्जा विकसित होगी। 😊

एक टिप्पणी लिखें

wave