NSDL और CDSL: भारतीय निवेशकों के लिए क्या अंतर हैं?
जब भारत में शेयर बाजार में निवेश की बात आती है, तो NSDL और CDSL नाम सबसे पहले सामने आते हैं। दोनों ही भारत की प्रमुख डिपॉजिटरी कंपनियाँ हैं, जिनका मुख्य काम निवेशकों के शेयर और अन्य सिक्योरिटी को डिजिटल डिमेट खातों में सुरक्षित रखना और लेन-देन को आसान बनाना है। लेकिन दोनों की शैली, पहुंच और सेवाओं में कई खास अंतर हैं, जो निवेशक के फायदे और जरूरतों पर सीधा असर डालते हैं।
NSDL (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) 1996 में शुरू हुई थी, जबकि CDSL (सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड) 1999 में आई। NSDL मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) से जुड़ी है, वहीं CDSL बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के साथ गठजोड़ करती है। NSDL इंस्टीट्यूशनल और हाई नेटवर्थ (अत्यधिक संपत्ति रखने वाले) निवेशकों के वर्ग में मजबूत पकड़ रखती है—औसतन हर खाते में 1.25 करोड़ रुपये की संपत्ति दर्ज है, जबकि CDSL के पास प्रति डिमेट खाता औसतन सिर्फ 5 लाख रुपये है।
संख्या और पहुंच की बात करें तो NSDL के पास 64,535 इश्युअर्स, 63,542 डीपी सर्विस सेंटर्स हैं जिससे बड़े निवेशकों तक सेवाएं जल्द और सुगम पहुंचती हैं। NSDL के खातों की पहचान करने का तरीका भी अलग है—यहां 14 कैरेक्टर का अल्फान्यूमेरिक कोड मिलता है, जो ‘IN’ से शुरू होता है। CDSL का तरीका सीधा है—यह 16 नंबर की आईडी देता है।

CDSL क्यों है खुदरा निवेशकों का विकल्प?
अब रिटेल (खुदरा) इन्वेस्टर्स के बीच CDSL की लोकप्रियता देखी जाए तो यह अपने प्रतिस्पर्धी शुल्क, आसान पहुँच और देश भर में फैले विस्तृत नेटवर्क की वजह से है। CDSL के पास अभी 14.65 करोड़ से ज्यादा डिमेट खाते हैं, जो NSDL के 3.88 करोड़ खातों से चार गुना ज्यादा है। CDSL की सर्विसेज खास तौर से ऐसे निवेशकों के लिए आकर्षक हैं, जो छोटे-छोटे निवेश करते हैं—चाहे वह छोटे शहर हों या ग्रामीण इलाके। यहां तक कि कई नए निवेशक एजुकेशनल मोबाइल ऐप्स या छोटे ब्रोकरों के जरिये CDSL से जुड़ना पसंद करते हैं।
दोनों डिपॉजिटरी कंपनियां SEBI के नियमन में काम करती हैं। निवेशक के लिए सेवाओं में कोई बड़ा अंतर नहीं है—दोनों शेयरों का डिमेटेरियलाइजेशन, इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन, सिक्योरिटी ट्रांसफर, आदि जैसी मूलभूत सेवाएं देती हैं। लेकिन NSDL जहां प्रीमियम क्लास निवेशकों को बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, तेज सर्विस और ज्यादा कारोबारी सहूलियतें देता है, वहीं CDSL की खासियत किफायती दरों, विस्तृत पहुँच और छोटे निवेशकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में है।
हर निवेशक के लिए चुनाव साफ है—अगर आपका ब्रोकरेज NSDL से जुड़ा है और आपके अकाउंट में बड़ी रकम है, तो NSDL आपके लिए सही है। लेकिन अगर आप छोटे निवेशक हैं या नए-नवेले शेयर बाजार में कदम रख रहे हैं, तो CDSL की सेवाएं आपकी जरूरतों को ज्यादा आसानी से पूरा करेंगी। भारत में तेजी से बढ़ते डिजिटल इन्वेस्टमेंट माहौल में दोनों डिपॉजिटरी कंपनियां अपने-अपने सेक्टर में मजबूती से आगे बढ़ रही हैं।