श्रीलंका के नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुर कुमारा दिसानायके ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जयनाथ जयसूर्या के समक्ष राष्ट्रपति सचिवालय में शपथ ग्रहण किया। यह अवसर श्रीलंका के राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण था। दिसानायके ने इस मौके पर अपने भाषण में आगामी प्रथमिकताओं और योजनाओं का खुलासा किया, जिसमें उन्होंने राजनीति को साफ और ईमानदारी के पैमाने पर खरा उतारने का प्रण लिया।
नवसमर्पित लोकतंत्र की दिशा
अपने उद्घाटन भाषण में, दिसानायके ने कहा कि उनका पहला लक्ष्य राजनीति की प्रतिष्ठा को बहाल करना है। जनता में राजनीतिक नेताओं के प्रति अविश्वास की भावना बनी है और इसे दूर करने के लिए ईमानदारी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, 'मैं कोई जादूगर नहीं हूँ। मैं इस देश में जन्मे एक साधारण नागरिक हूँ। मेरी अपनी क्षमताएँ और अक्षमीयताएँ हैं। मुझे वो सब नहीं पता जो करना है, लेकिन मैं लोगों की प्रतिभाओं का उपयोग करके सही निर्णय लेने का प्रयास करूंगा।'
अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता
दिसानायके ने अपने भाषण में इस बात पर भी जोर दिया कि अकेले चलकर कोई देश उन्नति नहीं कर सकता। श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है ताकि वह आर्थिक संकट से बाहर निकल सके। उनका कहना है कि आर्थिक विकास और स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सहयोग से बड़ा कोई यंत्र नहीं है।
चुनावी विजय और प्रमुख योगदान
अनुर कुमारा दिसानायके, जो जनता विमुक्ति परामुना (JVP) पार्टी के व्यापक मोर्चे राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी (NPP) के नेता हैं, ने शनिवार को हुए चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सजीथ प्रेमदासा को पराजित किया। दिसानायके ने 5.74 मिलियन वोट और 105,264 प्राथमिकताएँ प्राप्त कीं, जबकि प्रेमदासा को 4.53 मिलियन वोट और 167,867 प्राथमिकताएँ मिलीं।
आर्थिक संकट के बाद पहली चुनावी विजय
यह चुनाव उस समय के बाद का पहला चुनाव था जब 2022 में हुए मास विरोध प्रदर्शनों ने गौतबाया राजपक्षे को सत्ताच्युत किया था। देश में आर्थिक संकट के दौरान बड़े पैमाने पर हुई अशांति ने राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया था। दिसानायके का चुनाव वादा, जिसमें भ्रष्टाचार विरोधी संदेश और राजनीतिक संस्कृति में बदलाव की प्रतिज्ञा शामिल थी, विशेष रूप से युवाओं के बीच अधिक प्रभावी साबित हुआ।
मार्क्सवादी नेता से राष्ट्रपति तक
दिसानायके ने राजनीति में अपनी यात्रा को चमत्कारिक ढंग से आगे बढ़ाया है। वह उत्तर-मध्य प्रांत के ग्रामीण थम्बुटेगामा से आते हैं और कोलंबो के उपनगरीय केलानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक हैं। वह 1987 में जु.वि.पा. में शामिल हुए थे जब पार्टी भारतीय विद्रोह के खिलाफ संघर्ष कर रही थी।
नए प्रधानमंत्री का चयन
दिसानायके के शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों बाद, प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे नई सत्ता की ताकत संतुलन का हिस्सा माना जा रहा है। प्रधानमंत्री का यह कदम राष्ट्रपति चुनाव के बाद सत्ता हस्तांतरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
श्रीलंका की ओर एक नई शुरुआत
दिसानायके के नेतृत्व में श्रीलंका एक नई दिशा में अग्रसर हो रहा है। जनता को उम्मीद है कि यह नया नेतृत्व आर्थिक संकट से उबरने, राजनीतिक व्यवस्था में सुधार लाने और वैश्विक सहयोग बढ़ाने में सक्षम होगा। नए राष्ट्रपति के प्रति व्यापक जनसमर्थन इस बात का संकेत है कि लोग परिवर्तन के लिए तैयार हैं और देश की भलाई के लिए उनके संकल्प को सराहते हैं।
राजनीतिक संस्कृति में बदलाव का आह्वान
दिसानायके ने अपने भाषण में भ्रष्टाचार को खत्म करने और राजनीति में पारदर्शिता लाने का वादा किया है। उन्होंने जनता के विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए कई कदम उठाने की योजना बनाई है जो राजनीति के प्रति उनकी उदासीनता को समाप्त कर सकती है। उनकी नीतियों में भ्रष्टाचार विरोधी उपाय, ईमानदारी और पारदर्शिता को प्राथमिकता देने का संकेत दिया गया है जो आम जनता के हित में होंगे।
श्रीलंका की राजनीति में युवा शक्ति
श्रीलंका की राजनीति में युवाओं की भागीदारी दिनोंदिन बढ़ रही है। दिसानायके के चुनाव अभियान के दौरान, उन्होंने युवा मतदाताओं की चिंताओं और उनकी उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए अपनी योजनाओं को पेश किया। आर्थिक सुधार, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर उनका ध्यान युवा जनसंख्या में उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण रहा।
राजनीतिक और सामाजिक सुधार
दिसानायके के लिए अब बड़ी चुनौती आती है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है आर्थिक संकट से निपटना और देश में सामाजिक सुधार करना। उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि अपने वादों को कैसे हकीकत में बदला जाए और जनता को कैसे विश्वास दिलाया जाए कि वे देश को एक नई दिशा में ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भविष्य की राह
आने वाले समय में श्रीलंका के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। दिसानायके के नेतृत्व में, युवाओं और आम जनता को उम्मीद है कि देश में सकारात्मक बदलाव आएगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वे अपने वादों को कैसे पूरा करेंगे और श्रीलंका को एक नई दिशा में ले जाएंगे।