विश्व नो टोबैको डे: भारत में क्यों किशोर लड़कियां अधिक धूम्रपान कर रही हैं?

विश्व नो टोबैको डे पर भारत की चिंता

आज विश्व नो टोबैको डे के अवसर पर, हम एक गंभीर और चिंताजनक प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं। भारत में किशोर लड़कियों के बीच धूम्रपान की दर तेजी से बढ़ रही है। यूनियन स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी तंबाकू नियंत्रण रिपोर्ट के अनुसार, जबकि कुल मिलाकर तंबाकू उपभोग में कमी आई है, परंतु किशोर लड़कियों के बीच धूम्रपान की दर में दुगुना से अधिक वृद्धि देखी गई है।

रिपोर्ट की चौंकाने वाली तथ्य

2009 और 2019 के बीच, किशोर लड़कियों में धूम्रपान की दर 3.8 प्रतिशत अंकों की वृद्धि के साथ 6.2 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो कि 2017 में महिलाओं के बीच धूम्रपान की दर (1.5 प्रतिशत) से कहीं अधिक है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि किशोर लड़कियों में धूम्रपान एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।

कन्या धूम्रपान की वजहें

इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं। किशोरावस्था में साथी दबाव, कूल दिखने की इच्छा और धूम्रपान को आधुनिक और स्वतंत्रता का प्रतीक मानने का प्रभाव प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, तंबाकू कंपनियों द्वारा लड़कियों को लक्षित करके धूम्रपान को फैशनेबल और सशक्तिकरण का प्रतीक दर्शाने का प्रयास भी इस समस्या को बढ़ावा दे रहा है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव और जोखिम

धूम्रपान के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव बेहद गंभीर होते हैं, जिनमें श्वसन और हृदय रोग, प्रजनन समस्याएं और जन्म दोष शामिल हैं। धूम्रपान करने वाली किशोर लड़कियों में इन जोखिमों का संभावित खतरा और भी बढ़ जाता है।

विशेषज्ञों का सुझाव

विशेषज्ञों के अनुसार, इस समस्या से निपटने के लिए सरकार और समाज दोनों को एक तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की प्रोफेसर मोनिका अरोड़ा के अनुसार, यह एक ऐसी समस्या है जिसे व्यापक सहयोग और जागरूकता के माध्यम से संबोधित किया जा सकता है।

समस्या की जड़ें और प्रयास

समस्या की जड़ें और प्रयास

यह समझना महत्वपूर्ण है कि किशोर लड़कियों में धूम्रपान की वृद्धि के तहत कई समाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू शामिल हैं। परिवार और शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका, साथी दबाव और मीडिया के धूम्रपान को बढ़ावा देने वाले चित्रण, सभी इन खतरनाक रुझानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सरकार द्वारा छात्रों के बीच तंबाकू जागरूकता कार्यक्रमों को मजबूत करने, कठोर तंबाकू नियम लागू करने, और माता-पिता और किशोरों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

समाज और सरकार की भूमिका

समाज और सरकार दोनों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा। जागरूकता अभियानों के माध्यम से किशोर लड़कियों को धूम्रपान के खतरों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, मीडिया और मनोरंजन उद्योग को जिम्मेदारी भरा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और धूम्रपान को ग्लैमराइज्ड नहीं करना चाहिए।

तंबाकू कंपनियों की जिम्मेदारी

तंबाकू कंपनियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और किशोरों को लक्षित विज्ञापन बंद करना चाहिए। उनके विपणन अभियानों में बदलाव होना चाहिए जो तंबाकू उत्पादों को आकर्षक और फैशनेबल बनाते हैं।

शिक्षा और संचार का महत्त्व

शिक्षा और संचार का महत्त्व

हर व्यक्ति को धूम्रपान के दुष्परिणामों के बारे में विस्तार से जानकारी होनी चाहिए। शिक्षा तंत्र, परिवार और समुदायिक सभा इन सभी का सक्रिय भूमिका निभाना आवश्यक है।

इस विश्व नो टोबैको डे पर, हम सभी को इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान देने और इसे हल करने के लिए मिलकर कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए। किशोर लड़कियों के स्वास्थ्य और उनके भविष्य के प्रति यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

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akhila jogineedi

akhila jogineedi

मैं एक पत्रकार हूँ और मेरे लेख विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय समाचारों पर केंद्रित होते हैं। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाओं पर विशेषज्ञता रखती हूँ। मेरा मुख्य उद्देश्य जानकारीपूर्ण और सटीक समाचार प्रदान करना है। मैं जयपुर में रहती हूँ और यहाँ की घटनाओं पर भी निगाह रखती हूँ।

टिप्पणि (10)

wave
  • Aryan Pawar

    Aryan Pawar

    मई 31, 2024 AT 18:40 अपराह्न

    भाई लोग आजकल लड़कियों में सिगरेट का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है हमें मिलकर इसको रोकना चाहिए सबको जागरूक करना है

  • Shritam Mohanty

    Shritam Mohanty

    मई 31, 2024 AT 20:03 अपराह्न

    सच कहूँ तो सरकार की नीतियों में छिपी हुई कहीं न कहीं बड़ी साजिश है ये धूम्रपान तो बस बड़ी कंपनियों का खेल है जिसके पीछे उनके मुनाफे की लालसा छिपी है

  • Anuj Panchal

    Anuj Panchal

    मई 31, 2024 AT 21:26 अपराह्न

    जैसे हम टेक्निकल टर्म्स में “निचले स्तर की पीयर‑टू‑पीयर इंटरेक्शन” को समझते हैं, वैसे ही किशोरियों में सोशल इफ़ेक्टिव इनफ्लुएंसर मॉडल को डिकोड करना जरूरी है। इस कंटेक्स्ट में टारगेटेड मार्केटिंग, बायो‑किमिया रिस्पॉन्स और नेविगेशनल बायस का इंटेग्रेटेड एनालिसिस मददगार हो सकता है

  • Prakashchander Bhatt

    Prakashchander Bhatt

    मई 31, 2024 AT 22:50 अपराह्न

    हे भाई लोग, थोड़ा भरोसा रखिए, अगर हम स्कूल में हेल्थ क्लासेस को मज़ेदार बना दें तो लड़कियों का दिमाग बदल सकता है, थोड़ा हँसी‑मजाक जोड़िए और देखिए असर

  • Mala Strahle

    Mala Strahle

    जून 1, 2024 AT 00:13 पूर्वाह्न

    समाज के इस बड़े मंच पर अक्सर हम आवाज़ उठाते हैं लेकिन आवाज़ की गहराई कम हो जाती है जब हम सिर्फ आँकड़े देखते हैं। किशोरी लड़कियों का धूम्रपान सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, यह एक सामाजिक संकेत है कि युवा चेतना में आज़ादी का क्या मतलब है। बहुत से युवा अपने आप को एक्सप्रेस करने के लिए कोई ऐसी राह चुनते हैं जो उन्हें “कूल” महसूस कराए, चाहे वह फैशन हो या कोई बन्धन‑तोड़ आदत। इस पथ पर बहस, सहकर्मियों के दबाव और मिडिया की छवि मिलकर एक जटिल web बनाते हैं। जब हम इस समस्या को सिर्फ “धूम्रपान” तक सीमित रखते हैं, तो हम उसकी जड़ें, यानी पहचान की खोज, स्वतंत्रता की चाह, और मार्केटिंग की चतुराई को नहीं देख पाते। इसलिए हमें पहले इस सामाजिक संरचना को समझना होगा, फिर शिक्षा, परिवार और नीति‑निर्माण के साथ मिलकर एक ठोस समाधान तैयार करना होगा। अगर हम स्कूल में इंटरएक्टिव वर्कशॉप, पैरेंट्स के लिए ट्रेनिंग सेशन, और स्थानीय NGOs के साथ साझेदारी कर लेंगे तो हम इस “धूम्रपान = कूलनेस” मिथक को तोड़ सकते हैं। अंत में, यह याद रखना चाहिए कि युवा पीढ़ी को सशक्त बनाना सिर्फ नियम‑कानून से नहीं, बल्कि उन्हें सही दिशा‑निर्देश, समर्थन और सकारात्मक रोल मॉडल देने से होता है।

  • Abhijit Pimpale

    Abhijit Pimpale

    जून 1, 2024 AT 01:36 पूर्वाह्न

    किशोरियों के लिए धूम्रपान खतरनाक है

  • pradeep kumar

    pradeep kumar

    जून 1, 2024 AT 03:00 पूर्वाह्न

    देखो दोस्त, अगर हम सब मिलकर स्कूलों में सत्र रखेंगे तो संभावित दुरुपयोग को रोका जा सकता है

  • MONA RAMIDI

    MONA RAMIDI

    जून 1, 2024 AT 04:23 पूर्वाह्न

    ओह यार, ये धूम्रपान की फ़ैशन चीज़ तो जैसे हर दिन नया ड्रामा बना देती है, एकदम टनाटन बवाल है

  • Vinay Upadhyay

    Vinay Upadhyay

    जून 1, 2024 AT 05:46 पूर्वाह्न

    बिल्कुल, जब तक सरकार बड़े सिगरेट पैकेट पर ‘स्वस्थ जीवन’ लिखा नहीं देता, तब तक यह समस्या हल नहीं होगी, है ना?

  • Divyaa Patel

    Divyaa Patel

    जून 1, 2024 AT 07:10 पूर्वाह्न

    अरे वाह, इस पोस्ट ने तो जैसे रंग‑बिरंगे इमेजरी को जोड़कर इस गंभीर मुद्दे को एक रचनात्मक पेंटिंग की तरह पेश किया, वाकई दिलचस्प

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