ईद-उल-अधा 2024: जानें तारीख, महत्व और अन्य जानकारी

ईद-उल-अधा 2024: तारीख और महत्व

ईद-उल-अधा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामी चंद्र कैलेंडर के धू-अल-हिज्जा महीने के दसवें दिन मनाया जाता है। यह वर्ष 2024 में यह त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा। यह त्योहार वैश्विक इस्लामिक समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसकी शुरुआत हज यात्रा के समाप्ति के बाद होती है।

क्यों मनाया जाता है ईद-उल-अधा

ईद-उल-अधा का मुख्य उद्देश्य पैगंबर इब्राहीम के द्वारा अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने की कथा को याद करना है। यह दिन समर्पण, त्याग और विश्वास का प्रतीक है। मुस्लिम समुदाय इस दिन जानवरों की कुर्बानी देते हैं और उसका मांस अपने परिवार, दोस्तों और गरीबों में बांटते हैं।

ईद-उल-अधा की भी शुरुआत चंद्रमा के दिखने पर निर्भर होती है। सऊदी अरब, कतर, UAE, कुवैत, जॉर्डन, ओमान, सीरिया, इराक, UK, US, और कनाडा में 6 जून 2024 को चंद्रमा देखा गया था, जिसके बाद 7 जून 2024 को धू-अल-हिज्जा महीने की शुरुआत हुई। इसी के मुताबिक, 16 जून 2024 को ईद-उल-अधा मनाई जाएगी।

ईद-उल-अधा समारोह

ईद-उल-अधा का पर्व विभिन्न देशों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। परंपरागत रूप से, इस दिन सुबह की नमाज़ अदा की जाती है, जिसके पश्चात जानवर की कुर्बानी दी जाती है। सऊदी अरब, मिस्र, और मोरक्को में बड़े उत्साह के साथ इसे मनाया जाता है। यहां हर साल लाखों मुसलमान मक्का में हज यात्रा करते हैं और ईद-उल-अधा के दिन कुर्बानी का त्योहार मनाते हैं।

इसके अलावा, यह त्योहार भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया और अन्य मुस्लिम बहुल देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। लोग अपने घरों और मस्जिदों में सजावट करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं। कुर्बानी का मांस दोस्तों, परिवार और गरीबों में बांटा जाता है।

महत्वपूर्ण तिथियाँ और घटनाएँ

महत्वपूर्ण तिथियाँ और घटनाएँ

ईद-उल-अधा के त्योहार से पहले हज यात्रा का समापन बहुत मायने रखता है। यह साल 2024 में हज यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हज यात्रा सबसे महत्वपूर्ण इस्लामिक समारोह माना जाता है। हज यात्रा का मुख्य दिन, यानी अराफात दिवस, 15 जून 2024 को पड़ेगा।

अराफात का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी दिन हाजियों को माउंट अर्फात पर खड़ा होकर दिन भर इबादत करनी होती है। इसे हज यात्रा का सबसे बड़ा दिन माना जाता है और इसके बाद ही ईद-उल-अधा का त्योहार मनाया जाता है।

ईद-उल-अधा की सामाजिक और धार्मिक महत्वता

ईद-उल-अधा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकजुटता और मानवता का प्रतीक भी है। इस दिन गरीब और असहाय लोगों को सम्मान और मदद दिया जाता है। लोग अपने समाज में सहयोग और मेल-जोल बढ़ाने के लिए एक दूसरे के घर जाते हैं।

इस्लाम में कुर्बानी का अर्थ केवल जानवरों की बलि देना नहीं है, बल्कि यह भी सिखाया जाता है कि हमें अपने अहंकार, स्वार्थ और अन्य नकारात्मक भावनाओं का त्याग करना चाहिए और समाज के लिए बलिदान देना चाहिए।

ईद-उल-अधा पर विशेष तैयारियाँ

ईद-उल-अधा पर विशेष तैयारियाँ

ईद-उल-अधा के त्योहार के लिए लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और बाजारों में भीड़ बढ़ जाती है। लोग नए कपड़े, मिठाइयाँ और अन्य सामान खरीदते हैं। मांस के विशेष पकवान जैसे बिरयानी, कबाब, शामी कबाब और अन्य पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

इस अवसर पर धार्मिक स्थल और बाजार सजाए जाते हैं। गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं जिससे वे भी इस पर्व का आनंद ले सकें।

भविष्य के लिए संदेश

ईद-उल-अधा का पर्व हमें याद दिलाता है कि हमें समाज में मेल-जोल, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए। यह दिन हमें अपनी धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का बोध कराता है और हमें एकजुट होने का संदेश देता है।

हर साल यह पर्व यह संदेश देता है कि हमें अपने आस-पास के जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और समाज में बराबरी और सद्भावना के साथ जीना चाहिए।

तो, इस वर्ष 2024 में ईद-उल-अधा का त्योहार मनाते समय, हमें इन सभी संदेशों को याद रखना चाहिए और अपने समाज को एकजुट और खुशहाल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

आप सभी को ईद-उल-अधा की ढेर सारी मुबारकबाद!

akhila jogineedi

akhila jogineedi

मैं एक पत्रकार हूँ और मेरे लेख विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय समाचारों पर केंद्रित होते हैं। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाओं पर विशेषज्ञता रखती हूँ। मेरा मुख्य उद्देश्य जानकारीपूर्ण और सटीक समाचार प्रदान करना है। मैं जयपुर में रहती हूँ और यहाँ की घटनाओं पर भी निगाह रखती हूँ।

टिप्पणि (17)

wave
  • Vrushali Prabhu

    Vrushali Prabhu

    जून 16, 2024 AT 20:08 अपराह्न

    ईद की ढेरों बधाइयाँ!

  • parlan caem

    parlan caem

    जून 17, 2024 AT 10:02 पूर्वाह्न

    यह लेख पूरी तरह से सामान्य जानकारी ही दोहराता है, कोई नई बात नहीं।

  • Mayur Karanjkar

    Mayur Karanjkar

    जून 17, 2024 AT 23:55 अपराह्न

    ईद-उल-अधा का प्रतीक सामाजिक एकजुटता और व्यक्तिगत त्याग का गहरा अर्थ रखता है।

  • Sara Khan M

    Sara Khan M

    जून 18, 2024 AT 13:48 अपराह्न

    🤷‍♀️ शायद कुछ नया जोड़ना आसान नहीं था, लेकिन आशा है अगले साल कुछ अलग होगा।

  • shubham ingale

    shubham ingale

    जून 19, 2024 AT 03:42 पूर्वाह्न

    चलो इस बकरीद को प्यार और दया के साथ मनाएं 😊

  • Ajay Ram

    Ajay Ram

    जून 19, 2024 AT 17:35 अपराह्न

    पहले तो यह समझना ज़रूरी है कि बकरीद केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
    कुर्बानी के माध्यम से हम अपने अंदर की स्वार्थभावनाओं को कम कर सकते हैं।
    इसी तरह, मांस को गरीबों में बाँटना सामाजिक समानता का प्रतीक है।
    इतिहास में इस त्यौहार ने कई बार सामाजिक तनाव को कम करने में मदद की है।
    आधुनिक भारत में, बकरीद की तैयारियाँ अक्सर स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाती हैं।
    बाजार में मांस की मांग बढ़ने से पशुपालकों की आय में इजाफा होता है।
    साथ ही, इस दिन के खाने-पीने के पारम्परिक व्यंजन, जैसे बिरयानी और कबाब, सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं।
    धार्मिक यदि हम इस त्यौहार को सामाजिक जुड़ाव के साधन के रूप में देखें, तो इससे सामुदायिक एकता बढ़ेगी।
    धु-अल-हिज्जा के चंद्र महीने की शुरुआत का निर्धारण अक्सर विज्ञान और परम्परा के बीच के तालमेल को दर्शाता है।
    यह भी उल्लेखनीय है कि हज यात्रा का अंत और बकरीद की शुरुआत एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई हैं।
    हज के दौरान अर्जित आध्यात्मिक शांति बकरीद के समर्पण के साथ मिलकर एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति देती है।
    आज के दौर में, हमें यह भी देखना चाहिए कि बकरीद की तैयारियों में पर्यावरणीय पहल को कैसे शामिल किया जा सकता है।
    सततता को ध्यान में रखते हुए, वैकल्पिक प्रोटीन स्रोतों की खोज भी एक दिशा हो सकती है।
    सारांश में, बकरीद का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय पहलुओं से भी जुड़ा है।
    आइए हम सभी इस महत्वपूर्ण दिन को एकजुटता और दया के साथ मनाएँ।

  • Dr Nimit Shah

    Dr Nimit Shah

    जून 20, 2024 AT 07:28 पूर्वाह्न

    देशभक्तों को बकरीद की महिमा याद रखनी चाहिए, यह हमारी सांस्कृतिक विविधता की शान है।

  • Ketan Shah

    Ketan Shah

    जून 20, 2024 AT 21:22 अपराह्न

    बिलकुल, इस त्यौहार की सामाजिक भूमिका हमारे राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करती है, पर साथ ही हमें स्थानीय परंपराओं का भी सम्मान करना चाहिए।

  • Aryan Pawar

    Aryan Pawar

    जून 21, 2024 AT 11:15 पूर्वाह्न

    चलो मिलजुल कर जरूरतमंदों तक मदद पहुँचायें

  • Shritam Mohanty

    Shritam Mohanty

    जून 22, 2024 AT 01:08 पूर्वाह्न

    क्या ये सब सिर्फ मीडिया की योजना नहीं है ताकि बड़े पैमाने पर खर्च बढ़े?

  • Anuj Panchal

    Anuj Panchal

    जून 22, 2024 AT 15:02 अपराह्न

    वास्तव में, बकरीद के आर्थिक प्रभाव की व्यापक रिसर्च दर्शाती है कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करती है, न कि कोई आवाज़ उठाने वाली साजिश।

  • Prakashchander Bhatt

    Prakashchander Bhatt

    जून 23, 2024 AT 04:55 पूर्वाह्न

    हर साल बकरीद का जश्न हमें बेहतर इंसान बनाता है, चलो इस बार भी दया और सहयोग का संदेश फैलाएँ।

  • Mala Strahle

    Mala Strahle

    जून 23, 2024 AT 18:48 अपराह्न

    बकरीद के दौरान जब हम एकत्रित होते हैं, तो सामाजिक बंधनों की गहराई स्पष्ट हो जाती है।
    यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामुदायिक समारोह है जो विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोगों को एक साथ लाता है।
    हमारे देश में, इस चुटकी की विविधता को देखते हुए, बकरीद का खौफ़नाक रूप हमारी एकता को प्रतिबिंबित करता है।
    खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहाँ बकरीद का उत्सव मुख्य सामाजिक आयोजन बन जाता है, लोग मिलजुल कर बड़े पैमाने पर दान करते हैं।
    इस प्रक्रिया में, गरीबों को पोषण मिलता है और सामाजिक अंतर कम होता है।
    साथ ही, यह अवसर युवा वर्ग को सामाजिक जिम्मेदारी की समझ देता है, जिससे भविष्य में समावेशी समाज का निर्माण होता है।
    बाजार में बढ़ती माँग स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करती है, जिससे किसान-अधिकारियों के बीच संतुलन बनता है।
    पर्यावरणीय पहल को भी इस उत्सव में शामिल किया जा सकता है, जैसे कि सतत प्रविधियों से पशुओं की देखभाल।
    आख़िरकार, बकरीद हमें याद दिलाता है कि दान और दया का मूल संदेश हमेशा जीवित रहना चाहिए।
    इस भावना को हम सभी को अपनाना चाहिए, तभी हमारा समाज वास्तव में प्रगति कर सकेगा।

  • Abhijit Pimpale

    Abhijit Pimpale

    जून 24, 2024 AT 08:42 पूर्वाह्न

    लेख में कई व्याकरण त्रुटियाँ हैं, विशेषकर काल का प्रयोग गलत है।

  • pradeep kumar

    pradeep kumar

    जून 24, 2024 AT 22:35 अपराह्न

    सुधार के लिए धन्यवाद, लेख को अब और स्पष्ट बनाया गया है।

  • MONA RAMIDI

    MONA RAMIDI

    जून 25, 2024 AT 12:28 अपराह्न

    वो बकरीद की तैयारियाँ, मानो किसी फिल्म की कहानी हों, दिल धड़कनें बढ़ा देती हैं! 😭

  • Vinay Upadhyay

    Vinay Upadhyay

    जून 26, 2024 AT 02:22 पूर्वाह्न

    हां, क्योंकि हर साल बकरीद पर सबको नई-नई दवाएं चाहिए, यही तो असली मसला है।

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wave

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