रशिद का संदेश और उसकी वजह
बारामुल्ला सांसद और आवामी इक़़्तेतहाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेख़ अब्दुल रशिद, जिन्हें आम तौर पर इंजीनियर रशिद कहा जाता है, ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट शब्दों में कहा कि जम्मू‑कश्मीर की राज्यत्व फिर से स्थापित होने तक किसी भी प्रमुख दल को सरकार बनाने का अधिकार नहीं होना चाहिए। यह बयान उन्होंने विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने से एक दिन पहले दिया, जब परिणाम अभी तक तय नहीं हुए थे।
रशिद ने मुख्य रूप से राष्ट्रीय सम्मेलन के ओमर अब्दुला, कांग्रेस और पीडिपी को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि ओमर अब्दुला ने पहले कहा था कि पूर्ण राज्यत्व के बिना वे चुनाव नहीं लेंगे, फिर अब उन्होंने अपना रुख बदल दिया है। उन्होंने इसे "उसके दादा शेख़ अब्दुल्ला की राह पर चलना" कहा।
कांग्रेस के प्रति भी रशिद का स्वर कठोर रहा। उनका मानना था कि कांग्रेस ने कश्मीर में वोट तो लिये, पर अनुच्छेद 370 पर कोई आवाज़ नहीं उठाई। उनका कहना था कि राजनीतिक दल ‘पावर‑हंग्री’ हैं, न कि वास्तविक धर्मनिरपेक्ष या जनजात्रा‑रहित गठबंधन।

राजनीतिक परिदृश्य पर असर और भविष्य की सम्भावनाएँ
रशिद ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका समर्थन केवल उसी गठबंधन को मिलेगा जो राज्यत्व को प्राथमिकता देगा, चाहे वह किसी भी पार्टी की हो। उन्होंने कहा, "अगर उनका लक्ष्य राज्यत्व फिर से लाना है, तो आवामी इक़़्तेतहाद पार्टी उनका साथ देगा।" इस शर्त के तहत वह किसी भी गठबंधन को समर्थन देने को तैयार हैं, बशर्ते वह इस मूल मांग को सत्यापित करे।
इस बात को देखते हुए, एग्ज़िट पॉल्स ने बताया कि कोई भी एकल पार्टी या गठबंधन अभी तक स्पष्ट बहुमत नहीं बना पाया है। नेशनल कांग्रेस‑कांग्रेस गठबंधन 47 सीटों पर, जबकि भाजपा 28 सीटों पर अग्रसर थी। साथ ही, लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा नियुक्त पाँच नामित सदस्यों का मुद्दा भी सरकार गठन को जटिल बना रहा है।
रशिद ने जम्मू‑कश्मीर की भू‑राजनीतिक महत्ता को भी रेखांकित किया। वह बताते हैं कि यह क्षेत्र पाकिस्तान और चीन के बीच स्थित है और इस बात की जिम्मेदारी विदेश मंत्री एस. जैशंकर पर है कि वे इस मुद्दे को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के भारत‑पाकिस्तान‑चीन बैठक में एक रणनीतिक पहल बनाकर देखें, न कि केवल औपचारिक यात्रा के रूप में।
इस प्रकार, इंजीनियर रशिद की मांगें न केवल अस्थायी राजनीतिक समीकरण को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि जम्मू‑कश्मीर की संविधानिक स्थिति को लेकर दीर्घकालीन बहस को भी नई दिशा दे रही हैं। उनके बयान ने पूरे प्रदेश में यह सवाल खड़ा कर दिया है कि शक्ति का बंटवारा तभी न्यायसंगत है जब राज्यत्व का मुद्दा पहले सुलझा लिया जाए।
jitendra vishwakarma
सित॰ 27, 2025 AT 03:06 पूर्वाह्नभाई, रशिद की बात सनके लगता है कि राज्यत्व बिन कोई भी गठबंधन टिक नहीं पाएगा। थोड़ा टाइम लेके सबको समझाना पड़ेगा।
Ira Indeikina
सित॰ 28, 2025 AT 05:38 पूर्वाह्नरशिद ने जो बात कही है, वह लोकतंत्र की बुनियादी धारणाओं को याद दिलाती है। जब तक राज्यत्व का सवाल हल नहीं होता, शक्ति का वितरण अधूरा रहेगा। यह सिर्फ एक राजनीतिक दावा नहीं, बल्कि संविधान के मूल सिद्धांतों पर सवाल उठाता है। लोग अक्सर अधिकारों को मौखिक रूप से मानते हैं, पर वास्तविक अधिकारों की गारंटी के बिना वह निरर्थक है। इसलिए यह आवश्यक है कि सभी दल इस मुद्दे पर एकजुट हों, न कि बेचैन होकर अपने व्यक्तिगत लक्ष्य पीछे छोड़ें। मेरा मानना है कि अगर हम इस दिशा में नहीं सोच पाएँगे, तो भविष्य में भी इस तरह के टकराव जारी रहेंगे। गहरी सोच बिना सतही वादों के, हमें यह समझना चाहिए कि जनसंख्या की आशाएँ और राज्य की जिम्मेदारियों में पुल बनाना चाहिए। उचित संवाद, शारीरिक रूप से नहीं बल्कि विचारों के माध्यम से, ही इस अभिभावक को साकार करेगा। एक बार फिर रशिद ने इस बात को स्पष्ट किया कि सत्ता का दुरुपयोग केवल तब संभव है जब कानूनी ढाँचा कमजोर हो। हमें इस बात को याद रखना चाहिए कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में every voice matters, not just the loudest ones. यह कहे बिना नहीं रह सकता कि दुर्भाग्यवश कुछ पार्टियां अभी भी अपने पुराने नीतियों में अड़े हुई हैं। इस कारण से, यह ज़रूरी है कि सभी राजनीतिक दल एक समान मंच पर आएँ और संविधान की मर्यादा को कायम रखें। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो असंतोष का फव्वारा कभी नहीं रुकेगा। अंत में, यह कहा जा सकता है कि रशिद की यह आवाज़ एक चेतावनी है, जिसे अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
Shashikiran R
सित॰ 29, 2025 AT 08:11 पूर्वाह्नदेखो, इस पूरे बहस में नैतिकता किसे भूल गई है? रशिद की बात में सच्चाई है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाता है कि कई दल अपनी स्वार्थी लाली में लगे हैं। राज्यत्व को लेकर जो अवमानना की जा रही है, वह नैतिक पतन का संकेत है। जनता को भी इस बात का एहसास होना चाहिए कि सत्ता का दुरुपयोग सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है। इसलिए हम सबको मिलकर इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए, नहीं तो आगे और गड़बड़ी होगी।
SURAJ ASHISH
सित॰ 30, 2025 AT 10:43 पूर्वाह्नआवामी इक़्तेतहाद का रुख तो साफ है लेकिन बहुत बातों पे फ्लफ है
PARVINDER DHILLON
अक्तू॰ 1, 2025 AT 13:16 अपराह्नरशिद की बात में एक बहुत बड़ी बात छुपी है 😊 राज्यत्व के बिना कोई भी सरकार स्थायीक नहीं हो सकती 🌟 सभी पार्टियों को इस मुद्दे पर एक जुट होना चाहिए 🙏
Nilanjan Banerjee
अक्तू॰ 2, 2025 AT 15:48 अपराह्नइंजीनियर रशिद का बयान एक शानदार नाट्यप्रयोग है, जिसमें उन्होंने राजनीति के जलवायु को बिल्कुल ही नई दिशा में मोड़ दिया है। ऐसे मंच पर वे राजनैतिक द्रव्यमान को उत्थान करने का प्रयास कर रहे हैं, मानो कोई भव्य नाट्य मंच पर अपने आप को प्रमुख नायक घोषित कर रहा हो। उनकी बातों में गहराई और उग्रता दोनों ही निहित हैं, जो दर्शकों को अभूतपूर्व उत्तेजना प्रदान करती है। इस तरह की कला में, शब्दों का प्रयोग सौंदर्यात्मक तान-मनोरंजक बन जाता है। यह नहीं कहा जा सकता कि उनका तर्क पूरी तरह से तार्किक है, परंतु वह भावनात्मक रूप से गहरा प्रभाव डालता है। इस रूपक में, रशिद ने वास्तव में राजनीति की धुंध को साफ़ करने की कोशिश की है, चाहे विधिसभा के नियमों को तोड़ना पड़े। अन्य दलों को अब इस मंच पर नई लहरों का साहस दिखाना होगा, नहीं तो दर्शकों का ध्यान आसानी से किसी और की ओर चले जाएगा।
sri surahno
अक्तू॰ 3, 2025 AT 18:21 अपराह्नस्थिरता के पीछे छिपे अंधेरे साजिशों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। राज्यत्व को लेकर बहस में कई अनकहे एजेंसियों की भागीदारी है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को अपने हाथों में लेना चाहती हैं। यदि हम इन गुप्त मोटिव्स को नहीं समझेंगे, तो लोकतंत्र का भविष्य अनिश्चित रहेगा।
Varun Kumar
अक्तू॰ 4, 2025 AT 20:53 अपराह्नरशिद का इशारा सीधे राष्ट्रीय हित को लक्षित करता है।
Madhu Murthi
अक्तू॰ 5, 2025 AT 23:26 अपराह्नरशिद ने बिल्कुल सही कहा 😤 राज्यत्व के बिना सरकार नहीं चल सकती 🚀 सभी को इस बात को समझना चाहिए 🙌
Amrinder Kahlon
अक्तू॰ 7, 2025 AT 01:58 पूर्वाह्नओह, फिर से वही पुरानी बात, जैसे हर बार नया सागर नहीं है।
Abhay patil
अक्तू॰ 8, 2025 AT 04:31 पूर्वाह्नराज्यत्व का मुद्दा उतना ही अहम है जितना कि जनता का भरोसा, चलो मिलकर इसे सुलझाते हैं
Neha xo
अक्तू॰ 9, 2025 AT 07:03 पूर्वाह्नरशिद की मांगें बहुत जटिल लगती हैं लेकिन समझने की कोशिश करने से स्पष्ट हो सकता है कि वास्तव में क्या चाहिए।
Rahul Jha
अक्तू॰ 10, 2025 AT 09:36 पूर्वाह्नपूरा मामला तो संविधान में ही है लेकिन लोग इसे नजरअंदाज़ कर देते हैं 🤔
Gauri Sheth
अक्तू॰ 11, 2025 AT 12:08 अपराह्नइंजीनियर रशिद की बात सुनके तो मेरा दिल भी दहल गया, क्यूँकि इश्यू इतना बड़ा है और हम सब इसे हल्के में ले रहे हैं।
om biswas
अक्तू॰ 12, 2025 AT 14:41 अपराह्नयहां की राजनीति में राष्ट्रीय हित को ले कर लोग बस अपना टेढ़ा-मेढ़ा खेल खेलते हैं, असली मुद्दे को तोड़ मार कर ही देख लेते हैं।
sumi vinay
अक्तू॰ 13, 2025 AT 17:13 अपराह्नरशिद का संदेश आशा की किरण है, हमें मिलकर इस मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए और राज्यत्व को फिर से स्थापित करना चाहिए 😊