ईरान और इजराइल के बीच यूद्ध का खतरा
पिछले सप्ताह तेहरान में Hamas के नेता इस्माइल हनियेह की हत्या के बाद से मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है। ईरान ने इजराइल को इस हत्या के लिए 'सज़ा' देने की धमकी दी है, हालांकि इजराइली अधिकारियों ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है। इससे पहले गाज़ा में हुए भीषण हमलों में लगभग 40,000 फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिससे यह संघर्ष और भी गंभीर हो गया है।
लेबनान पर हमले का खतरा
हत्या की योजना और उसके बाद की घटनाओं ने लेबनान पर संभावित हमलों का खतरा भी बढ़ा दिया है। क्षेत्र में स्थिति को और गंभीर बनाने के लिए राजनयिक प्रयास तेज हो गए हैं। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि 'हमलावर को सज़ा देने और इजराइल की कार्रवाइयों के खिलाफ एक निवारक कदम उठाना आवश्यक है।'
हिंसात्मक हमलों की लंबी श्रृंखला
हनियेह की हत्या से एक दिन पहले ही इजराइल ने हिज़्बुल्लाह के एक महत्वपूर्ण नेता, फवाद शुकर, को मार गिराया था। इसे इजराइल द्वारा एक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले हिज़्बुल्लाह ने इजराइल पर कई हमले किए, जिनमें गोलान हाइट्स पर छात्रों पर हमला भी शामिल था।
क्या ईरान करेगी अव्यवस्थित प्रतिक्रिया?
विश्लेषक यह सुझाव दे रहे हैं कि ईरान इस स्थिति में संयम बरत सकता है, खासकर उस क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दबाव को ध्यान में रखते हुए जो उस पर बना हुआ है। ईरान को इस समय मध्य पूर्व में कई देशों के साथ जुड़ाव है, और वह एक संयमित और संगठित प्रतिक्रिया दे सकता है ताकि उसकी छवि को नुकसान न पहुंचे।
नेतन्याहू की स्थिति
इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आंतरिक स्थिति कई महीनों से नाजुक बनी हुई है, जिसमें उनके विरुद्ध विभिन्न कानूनी चुनौतियों का सामना भी शामिल है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट द्वारा भी उनके खिलाफ युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
लेबनान की प्रतिक्रिया
हिज़्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने इजराइल को 'लाल रेखाओं' को पार करने का आरोप लगाया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह इस हत्या का बदला लेने के लिए तैयार हैं। लेबनानी अमेरिकन यूनिवर्सिटी के राजनीतिक वैज्ञानिक इमाद सलामी का मानना है कि इस बीच हिज़्बुल्लाह और ईरान मिलकर काम कर सकते हैं, जिससे कि एक संयमित और नियंत्रित संघर्ष हो सके जो ईरान के रणनीतिक हितों के अनुकूल हो।
वर्तमान स्थिति
अभी हाल ही में हिज़्बुल्लाह द्वारा उत्तरी इजराइल पर किए गए ड्रोन हमलों ने तंगल को और भी बढ़ा दिया है। इजराइली सेना का कहना है कि उनके फायरफाइटिंग दल इस हमले के बाद लगी आग को बुझाने में लगे हुए हैं। पिछले दस महीने से इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच लगभग रोजाना गोलीबारी हो रही है, जिसे नियंत्रण में रखा गया है ताकि यह पूर्ण युद्ध में न बदल जाए।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इस तनाव के चलते अपने राष्ट्रीय आतंकवाद खतरे स्तर को 'सम्भावित' तक बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने कहा है कि ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस ऑर्गनाइजेशन (ASIO) की सलाह के मुताबिक काम किया जा रहा है।
अमेरिका का समर्थन
इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उनका देश ईरान और उसके सहयोगी मिलिशियाओं के खिलाफ 'मल्टी-फ्रंट वॉर' में शामिल है। अमेरिकी और उसके सहयोगी देश इजराइल की सुरक्षा के लिए तैयार खड़े हैं, जिससे किसी भी संभावित प्रतिकारी कदम को सामना किया जा सके।
नेतिगण
हनियेह की हत्या की प्रतिक्रिया में, जॉर्डन के विदेश मंत्री ने एक दुर्लभ दौरा कर ईरान का दौरा किया है ताकि स्थिति को शांत किया जा सके। इस बीच, पेंटागन ने भी अपने सैन्य बलों को क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया है। हनीयेह की हत्या को लेकर मिडिल ईस्ट आई ने एक संक्षिप्त टिप्पणी में इसे 'पागलपन' कहा है, जिसमें नेतन्याहू की कार्रवाई को क्षेत्र को आग लगाने की चाल के रूप में देखा गया है।
इसराइली सैन्य जनरल अमीराम लेविन ने कहा है कि हनियेह का जीवित रहना इसराइल के लिए अधिक लाभदायक होता, क्योंकि वह दीर्घकालिक संघर्षविराम वार्ता का एक प्रमुख हिस्सा थे। अब देखना यह है कि इस घटनाक्रम का प्रभाव आने वाले समय में कैसे पड़ेगा और बीच में शांति वार्ता की संभावनाएं कितनी कायम रहती हैं।