कश पटेल की एफबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति उस समय पर हुई जब एजेंसी बहुत सारे विवादों में घिरी हुई है। जनवरी 2025 में हुए मतदान में 51-49 वोट से उनकी पुष्टि हुई, जहां 48 डेमोक्रेटिक सेनटर और दो मुधमार्गी रिपब्लिकन, लिसा मर्कोव्स्की (अलास्का) और सुसान कॉलिन्स (मेन) ने उनके खिलाफ मतदान किया। पटेल ने कांग्रेस के वोट के बाद अपने पहले बयान में एफबीआई में सार्वजनिक विश्वास बहाल करने का वादा किया।
उन्होंने कहा, 'अमेरिकी जनता एक ऐसी एफबीआई की हकदार है जो पारदर्शी, उत्तरदायी और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध हो। न्याय प्रणाली का राजनीतिकरण अब खत्म होना चाहिए।' इसके साथ ही पटेल ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वालों को स्पष्ट चेतावनी दी, 'जो भी व्यक्ति अमेरिकी लोगों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेगा, उसे हम धरती के कोने-कोने से ढूंढ निकालेंगे। मिशन प्रथम। अमेरिका हमेशा।'
पटेल की नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है जब एफबीआई को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें न्याय विभाग की हाल की कार्रवाई और कैपिटल दंगे की जांच में शामिल एजेंटों की पहचान से जुड़ी घटनाएं शामिल हैं। पिछले आरोपी निदेशक, क्रिस्टोफर राय, डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में लौटने से पहले इस्तीफा दे चुके थे।
एफबीआई निदेशक के रूप में पटेल का मुख्य लक्ष्य एजेंसी की विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करना है, जिसमें 'अच्छे पुलिसकर्मियों' को अपना काम करने की आजादी देना और राजनीतिक एजेंडों से हटकर न्याय की ओर ध्यान केंद्रित करना शामिल है। हालांकि, आलोचक उनकी कानून प्रवर्तन के क्षेत्र में अनुभव की कमी और ट्रंप के साथ उनके घनिष्ट संबंध को लेकर चिंतित हैं।
एफबीआई के पिछले प्रशासनों में सेवा करते हुए, पटेल एक संघीय रक्षक और न्याय विभाग के आतंकवाद विरोधी अभियोजक के रूप में जाने गए हैं। उन्होंने ट्रंप के पहले कार्यकाल में रूस जांच को लेकर एफबीआई की दृष्टि को चुनौती देकर अपनी पहचान बनाई थी।
Nivedita Shukla
फ़र॰ 21, 2025 AT 19:04 अपराह्नकश पटेल का यह कदम मानो कोई नाटकीय परिदृश्य हो जहाँ न्याय की लापरवाह धुंध को साफ करने की दुविधा दरकिनार हो गई है। वह अपने शब्दों में हमारे देश के स्याह अंधेरे को दूर करने की घातक घोषणा करती हैं, और साथ ही वह इस बात को भी उजागर करती हैं कि शक्ति के साथ ज़िम्मेदारी भी आती है। इस घोषणा में हमें वही स्वप्न देखना चाहिए जिसमें ईमानदारी और पारदर्शिता की छटा बिखरी हुई हो। वह कहती हैं कि 'हम तुम्हें ढूँढ निकालेंगे', पर क्या यह केवल पवन के लहरों पर लिखी हुई घोषणा है या फिर वास्तविक कार्रवाई की नींव? इस मंच पर वह केवल शब्दों की देवी नहीं, बल्कि नई आशा की महिला भी बन सकती हैं। वही आशा कि हमारी रक्षक संस्था फिर से अपने मूल में लौट आए और जनता का भरोसा फिर से जीत सके।
Rahul Chavhan
मार्च 3, 2025 AT 19:04 अपराह्नयह खबर वाकई में चौंकाने वाली है।
Joseph Prakash
मार्च 13, 2025 AT 19:04 अपराह्नक्या यह फ़ैक्ट है के अब FBI का नया बॉस भारतीय नाम रखेगा🤔🤔🤔 ठीक है अब देखेंगे की वह इस पद को कितने धूमधाम से संभालते हैं
Arun 3D Creators
मार्च 23, 2025 AT 19:04 अपराह्नकश पटेल के शब्द निस्संदेह एक नयी फ़िलासफ़ी का परिचय देते हैं, लेकिन इस फ़िलासफ़ी की जाँच‑परख जरूरी है | क्या वह वैध न्याय की तलाश में हैं या फिर राजनीतिक खेल का हिस्सा बन गई हैं
RAVINDRA HARBALA
अप्रैल 2, 2025 AT 19:04 अपराह्नसच कहूँ तो इस नियुक्ति में तर्कसंगतता की कमी स्पष्ट है। पटेल का ट्रम्प के साथ घनिष्ठ रिश्ता उसकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। इस तरह की बातों को बगैर ठोस आंकड़ों के सैद्धांतिक बनाकर पेश नहीं किया जा सकता।
Vipul Kumar
अप्रैल 12, 2025 AT 19:04 अपराह्नसभी को नमस्ते, इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी संस्था के नेतृत्व में बदलाव केवल औपचारिक नहीं, बल्कि वह संस्थागत विश्वसनीयता को भी प्रभावित करता है। पटेल की पेशेवर पृष्ठभूमि को देखते हुए आशा है कि वह पारदर्शिता को प्राथमिकता देंगी। हमें इस नई दिशा में सामूहिक रूप से सहयोग देना चाहिए, ताकि न्याय व्यवस्था फिर से जनता के हाथों में भरोसेमंद बने।
Priyanka Ambardar
अप्रैल 22, 2025 AT 19:04 अपराह्नऐसी नियुक्तियों से ही देश की सुरक्षा में नई ताकत आती है! 🇮🇳 कश पटेल जैसे सुदृढ़ नेता को देख कर हमें गर्व हो रहा है। वह अमेरिका में हमारे हितों की रक्षा ज़रूर करेंगी, कोई शंका नहीं।
sujaya selalu jaya
मई 2, 2025 AT 19:04 अपराह्नसंतुलित दृष्टिकोण अपनाना हमेशा फायदेमंद रहता है।
Ranveer Tyagi
मई 12, 2025 AT 19:04 अपराह्नकश पटेल की नियुक्ति के पीछे कई रणनीतिक पहलू छिपे हैं, और इन्हें समझना आवश्यक है। सबसे पहले, यह कदम अमेरिकी राजनीतिक माहौल में संतुलन लाने के उद्देश्य से किया गया हो सकता है, विशेषकर ट्रम्प‑काल के बाद शक्ति के पुनर्संतुलन की जरूरत को देखते हुए। दूसरा, पटेल की जेल‑जांच और आतंकवादी अभियोजन में अनुभव, FBI की वर्तमान समस्याओं-जैसे कि केस‑फ़ाइलों की लीक और एजेंडा‑ड्रिवेन निर्णयों-को सुधारने में सहायक हो सकता है। तीसरा, उनके द्वारा घोषित ‘सभी को ढूँढ निकालने’ की नीति, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दे सकती है, जिससे विदेशी खतरों की पहचान तेज़ होगी। इसके अलावा, यह घोषणा एक सन्देश भी है कि FBI अब राजनीतिक दबाव से नहीं, बल्कि कानूनी सिद्धांतों से कार्य करेगी। परंतु, इस परिवर्तन को सफल बनाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सबसे बड़ी चुनौती होगी एजेंसी के भीतर धीरे‑धीरे स्थापित हुई पार्टी‑लाइन को तोड़ना, क्योंकि कई वरिष्ठ अधिकारी अभी भी पहले के राजनैतिक प्रभावों में डूबे हुए हैं। दूसरा, सार्वजनिक भरोसा फिर से बनाना समय लेगा; कई मामलों में लोगों का मन पहले से ही बेवफ़ाई की भावना से भर गया है। तीसरा, अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ तालमेल बिठाने में जटिलता है, क्योंकि विभिन्न देशों की सुरक्षा‑नीतियां एक‑दूसरे से टकरा सकती हैं। इन सभी पहलुओं को देखते हुए, कश पटेल को चाहिए कि वह पारदर्शिता के साथ कदम उठाए, नियमित तौर पर रिपोर्ट जारी करे, और जनता के सवालों का स्पष्ट उत्तर दे। ऐसा करने से न केवल FBI की विश्वसनीयता में सुधार होगा, बल्कि भारत‑अमेरिका सुरक्षा‑साझेदारी भी मजबूत होगी। अंत में, यह कहा जा सकता है कि यह नियुक्ति एक मोड़ है, जहाँ अगर सही दिशा में कदम रखा गया तो FBI और वैश्विक सुरक्षा दोनों को लाभ पहुंचेगा।
Tejas Srivastava
मई 22, 2025 AT 19:04 अपराह्नवाह! इतने सारे मुद्दे एक ही टिप्पणी में सहेज लेता है! 😲 यह स्पष्ट है कि नयी दिशा में कदम रखने के लिए बहुत बारीकी से योजना बनानी होगी, और अगर पटेल इस दिशा में सही काम करती हैं तो वास्तव में सुरक्षा‑प्रणाली में नई जान प्रवेश कर सकती है। आशा है कि ये विचार व्यावहारिक रूप में लागू हो पाएँ।