कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस: पूर्व प्रिंसिपल और डॉक्टरों पर पॉलिग्राफ टेस्ट के लिए सीबीआई ने माँगी कोर्ट अनुमति

सीबीआई ने कोलकाता के प्रमुख आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष और चार अन्य डॉक्टरों पर पॉलिग्राफ टेस्ट कराने के लिए न्यायालय से अनुमति की याचिका दायर की है। यह याचिका 31 वर्षीय पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस के संदर्भ में की गई है, जिसका शव 9 अगस्त को कॉलेज के चेस्ट मेडिसिन विभाग के सेमिनार रूम में पाया गया था।

इस मामले में सीबीआई ने पहले ही संजय रॉय के खिलाफ पॉलिग्राफ टेस्ट कर लिया है, जो कि एक सिविक वोलंटियर और मुख्य संदिग्ध है, जिसे घटना के एक दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। डॉ. संदीप घोष और चार अन्य डॉक्टर उस रात पीड़िता के साथ ड्यूटी पर थे जब यह घटना हुई थी। इन डॉक्टरों का पॉलिग्राफ टेस्ट अदालत की अनुमति मिलने के बाद किया जाएगा।

मामले की तहकीकात में नई जानकारियां

सीबीआई इस मामले की तहकीकात में गहराई से जुटी हुई है। जांच एजेंसी ने डॉ. संदीप घोष के मोबाइल कॉल और संदेशों की डिटेल्स की भी जांच शुरू कर दी है, जिसमें डिलीट किए गए व्हाट्सएप मैसेज भी शामिल हैं। इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं की क्या यह सब एक साजिश का हिस्सा था और इसके पीछे की सच्चाई क्या है।

मामले में न सिर्फ कॉल डिटेल्स बल्कि एक और पहलू भी जांच में सामने आया है। पीड़िता के परिवार को घटना के दिन 10:53 बजे से पहली कॉल अपने स्वास्थ्य के खराब होने की सूचना दे रही थी। फिर 11:15 बजे दूसरी कॉल में उनकी आत्महत्या की खबर दी गई। इस 22 मिनट के अंतराल में क्या हुआ था, यह भी एक बड़ा सवाल है।

पुनर्वासित प्रिंसिपल और जनता की नाराजगी

डॉ. संदीप घोष ने घटना के कुछ दिनों बाद, 12 अगस्त को, नैतिक आधार पर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल पद से इस्तीफा दे दिया था। हालाँकि, उन्हें तुरंत ही कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया गया, जिससे सार्वजनिक रोष और प्रश्न उठने लगे। लोगों ने राज्य सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया और मामले में सीबीआई की भूमिका को और महत्वपूर्ण बना दिया।

आरोपों की जाँच और सुप्रीम कोर्ट की चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में राज्य सरकार की भूमिका और जांच के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए हैं। अदालत ने मामले की एफआईआर दर्ज करने में देरी और क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ के आरोपों पर अपनी चिंता व्यक्त की है। अदालत ने हाल ही में हुई घटनाओं और राज्य सरकार के फैसलों के परिप्रेक्ष्य में जांच को और भी पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की आवश्यकता बताई है।

साजिश के पीछे छुपे रहस्य

साजिश के पीछे छुपे रहस्य

घटना के कुछ दिन बाद मामले की कई अन्य पहलुओं पर भी सीबीआई की नजर है। घटनास्थल के पास हुई मरम्मत का काम, जिसे कुछ दिनों बाद किया गया, सीबीआई की नजर में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह समझा जा रहा है कि यह मरम्मत भी इस साजिश के तहत हो सकती है ताकि सबूतों को मिटाया जा सके और सच्चाई को छुपाने की कोशिश की गई हो।

यह कड़ी तहकीकात का हिस्सा बनी हुई है और इसी कड़ी में पॉलिग्राफ टेस्ट का सहारा लिया जा रहा है ताकि संदिग्धों से सच्चाई निकलवाई जा सके।सीबीआई इस पूरे मामले को गहराई से खंगाल रही है और सभी संभावनाओं पर विचार कर रही है।

न्याय की तलाश में परिवार

न्याय की तलाश में परिवार

पीड़ित की परिवार अभी भी न्याय की तलाश में है। उन्होंने न्यायिक प्रणाली पर अपना विश्वास जताया है और आशा है कि निष्पक्ष जांच से सच्चाई सामने आएगी। परिवार के सदस्यों ने संकल्प लिया है कि वे इस मामले को तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक उन्हें पूरा न्याय नहीं मिल जाता।

अंततः यह देखना बाकी है कि सीबीआई की निस्पक्षता और जांच की मौलिकता कितनी सफल होगी और पीड़िता के परिवार के लिए न्याय की उम्मीद कितनी जल्द पूरी होगी।

गौर करने वाली बात है कि इस प्रकार की घटनाएं हमारे समाज की असलियत को उजागर करती हैं और हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हम सच में एक सुरक्षित समाज में जी रहे हैं। इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी तरह-तरह के सवाल उठाए हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार की घटनाएं न सिर्फ हमारे समाज में बल्कि हमारे देश के हर कोने में कभी न हों।

अवनि बिश्वास

अवनि बिश्वास

मैं एक पत्रकार हूँ और मेरे लेख विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय समाचारों पर केंद्रित होते हैं। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाओं पर विशेषज्ञता रखती हूँ। मेरा मुख्य उद्देश्य जानकारीपूर्ण और सटीक समाचार प्रदान करना है। मैं जयपुर में रहती हूँ और यहाँ की घटनाओं पर भी निगाह रखती हूँ।

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