करवा चौथ – व्रत, रीति‑रिवाज और तैयारियों का गाइड
जब आप करवा चौथ हिंदू कैलेंडर में शुड़ियों वाली महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिये जोरदार व्रत रखती हैं. इसे कभी‑कभी कुंवारी व्रत भी कहा जाता है, तो यह व्रत उपवास और भक्तिपूर्ण पूजा का मिश्रण है, यह दिन सर्दियों में शरद‑रुतु की ठंड को भी छाया देता है।
इस व्रत की शुरुआत सर्गी भोर में पति को दिया गया पहला भोजन, जिसमें फल, अंकुरित दाल, मिठाई और नारियल शामिल होते हैं से होती है। सर्गी न केवल शारीरिक ऊर्जा देती है, बल्कि पति‑पत्नी के भावनात्मक बंधन को भी मजबूत बनाती है। संध्या सूर्यास्त के समय किया जाने वाला अर्द्ध‑रात्रि पूजन, जहाँ दीप जलाकर, पत्वी के साथ पति को स्वरूप‑स्मरण कराते हैं के दौरान सूर्यास्त के बाद अन्न‑नाश्ते से दूर रहें – यह व्रत का मुख्य नियम है। जब महिलाएँ संध्या के समय उपवास तोड़ती हैं, तब वे आमतौर पर पानी नहीं पीतीं और केवल चीज़े-फूल के जल से ही संतुष्ट रहती हैं।
करवा चौथ के प्रमुख रीति‑रिवाज और उनका महत्व
व्रत के दौरान व्रत कथा प्राचीन ग्रंथों में वर्णित कथा, जो पति की सुरक्षा और परिवार की सुख‑समृद्धि का वचन देती है सुनना अनिवार्य है; यह कथा व्रत की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाती है। कई घरों में भोग‑पात्र में गुलाब के पंखुड़ी, चंदन और धूप भर कर रखी जाती है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है। जल-आसन, द्वादश-त्रेतायुग लुप्त, और कई बार चंद्रमा की रोशनी में गिलास में पानी उठाकर पति को पीला जाता है – यह सब संध्या के बाद करने वाले प्रमुख कार्य होते हैं।
जब आप इन रीति‑रिवाजों को समझते हैं, तो आप यह देखेंगे कि करवा चौथ सिर्फ़ एक व्रत नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक बंधन को सुदृढ़ करने का साधन है। नीचे की सूची में आप जानेंगे कि इस महीने किन‑किन पहलुओं पर लेख मिलेंगे – शुरुआती तैयारी से लेकर अंतिम भोग‑विधि तक, साथ ही आधुनिक जीवन में इन परम्पराओं को कैसे अपनाएं। यह गाइड उसी तरह तैयार किया गया है, जैसे आपकी पसंदीदा रेसिपी बुक में सभी टिप्स एक साथ हों। अब आगे के लेखों में हम सर्गी के बेहतरीन व्यंजनों, संध्या की पूजा‑विधि, और व्रत‑समापन के बाद के स्वास्थ्य‑टिप्स को विस्तार से देखेंगे।
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