नवरात्रि 2025 – पूजा, उत्सव और तैयारियों की पूरी गाइड
नवरात्रि हर साल भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। चाहे आप दिल्ली में हों या कोलकाता में, इस त्योहार की धूम सब जगह एक जैसी रहती है। इस लेख में हम नवरात्रि के इतिहास से लेकर 2025 में इसे कैसे मनाएं, हर बात को आसान भाषा में समझेंगे।
नवरात्रि का इतिहास और महत्व
नवरात्रि का मतलब है ‘नौ रातें’। हिंदू पौराणिक कथा में इन नौ रातों में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। पहला दिन माँ शैलपुत्री और आखिरी दिन माँ काली के रूप में मनाया जाता है। ये नौ रातें देवी शक्ति की जीत का प्रतीक हैं, जब वह महिषासुर को पराजित करती हैं।
हर राज्य में नवरात्रि के अलग‑अलग रीति‑रिवाज़ होते हैं। उत्तर भारत में गरबा और डांडिया, पश्चिम में गरबा‑डांडिया के साथ साथ तेज़ पंक रैप भी सुनाई देता है। दक्षिणी राज्यों में बिंदु व्रत और काली पूजन प्रमुख होते हैं। इस विविधता से ही नवरात्रि का आकर्षण बढ़ता है।
आज के समय में नवरात्रि कैसे मनाएं
2025 में नवरात्रि का शुभ राशि रावि (ज्येष्ठ) में आएगा, यानी लगभग 14 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक। अगर आप शुरुआती हैं तो पहले दो दिन माँ शैलपुत्री और माँ ब्रह्मचारिनी की पूजा आसान होती है। घर में एक साफ जगह चुनें, जबरदस्त सुगंधित धूप और घी का उपयोग करके दीप जलाएं।
पूजा में माँ के लिए लाल, पीले और हरे फूल सबसे उपयुक्त हैं। अगर आपके पास नहीं हैं तो घर की मिट्टी के बर्तन में प्याज के लक्षण (प्याज के पत्ते) भी रख सकते हैं। प्रार्थना के बाद प्रसाद में खीर, फलों के टुकड़े और चावल का हल्का पेय देना अच्छा रहता है।
पूजा के अलावा नवरात्रि की रातों में डांडिया पर नाचना भी ज़रूरी है। अगर आपके पास डांडिया नहीं है तो दो लकड़ी की छड़ें लेकर भी मज़ा ले सकते हैं। हर रात का रंग अलग होता है – पहला रात लाल, दूसरा हरा, तीसरा नीला, इस तरह से आप अपनी वॉर्डरोब में भी बदलाव कर सकते हैं। इससे उत्सव में नई ऊर्जा आती है।
भजनों और कथाओं को सुनकर आप अपनी ऊर्जा बढ़ा सकते हैं। आप यूट्यूब पर ‘नवरात्रि कथा’ या ‘नवरात्रि भजन’ खोजें और घर भर में स्वर लहरियों का माहौल बनाएं। अगर आपके पास समय कम है तो 5‑10 मिनट का छोटा वीडियो चलाएँ, इससे भी लाभ मिलता है।
भोजन भी नवरात्रि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सातवें दिन ‘कटरी’ यानी वैजयनिका के दिन के लिए हल्का भोजन तैयार रखें – दाल, चावल, सब्ज़ी और हल्की मिठाई। अगर आप शाकाहारी हैं तो कढ़ी, पनीर और कच्ची सब्ज़ी काफी है।
नवरात्रि के अंत में गणेश उत्सव (विजया दशमी) आता है। इस दिन माँ दुर्गा के विजयी रूप को देखते हुए मिठाई का सेवन करें और सभी बुरी ऊर्जा को समाप्त करने का संकल्प लें। घर में एक छोटा पवित्र कोट या चमचा रख दें, जिससे आगे की शुभकामनाएँ बनी रहें।
अगर आप बाहर मनाना चाहते हैं तो स्थानीय मंदिर की विशेष पूजा में भाग ले सकते हैं। अक्सर मंदिर में भौतिक मिलानों (मिसलान) और प्रसाद बांटे जाते हैं। आप भी इस अवसर का फायदा उठाकर नई दोस्ती बना सकते हैं।
अंत में, नवरात्रि का असली मकसद दिल में शांति और शक्ति लाना है। इसलिए, चाहे आप बड़े उत्सव में भाग लें या घर पर ही छोटे‑छोटे रिवाज़ करें, दिल से पूजा‑अर्चना करें और सकारात्मक ऊर्जा को अपनी जिंदगी में जगह दें।
नवरात्रि 2022 में इन नौ रंगों को पहनें, मनाएँ देवी दुर्गा के नौ स्वरूप
नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन का विशेष रंग और उससे जुड़ी देवी का वर्णन। रंगों का इतिहास, सामाजिक प्रभाव और शरद‑वसंत उत्सव में इन परिधानों का महत्व बताया गया है। पहनावे के साथ उपवास, गरबा‑डांडिया और विशेष व्यंजन भी इस परम्परा को जीवंत बनाते हैं।