जब रमेश बिधुड़ी, बीजेपी प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी ने प्रियांका गांधी वड़्रा का उल्लेख महिलाओं के शरीर के रूपक में किया, तो दिल्ली में राजनीति का दायरा तुरंत गरम हो गया। यह वीडियो दिल्ली 2025 चुनाव के सबसे संवेदनशील चरण में, लगभग कालकाजी क्षेत्र में फैला, जहाँ दोनों पार्टियों के समर्थक जल्लेदार बहस में जुट गए।
उस क्षण से ही सोशल मीडिया पर हिट हो गया, और विपक्षी पार्टियों ने इसे "महिला‑विरोधी" टिप्पणी के रूप में निंदा किया। इस विवाद ने न केवल उम्मीदवार की छवि बल्कि महिलाओं के वोटर के साथ संबंध को भी सवाल के घेरे में डाल दिया।
पृष्ठभूमि और राजनीतिक माहौल
दिल्ली की विधानसभा चुनाव 2025 दो साल का अंतराल रखती आई है, और इस बार महिलाएं लगभग 53% वोटों की बाधा हैं। हाल ही में अखबारों ने बताया कि महिलावर्ग के प्रति संवेदनशीलता न दिखाने वाले बयान चुनावी परिणामों को उलट सकते हैं। बिधुड़ी, जो पहले ओखा और संगम विहार के सड़कों के विकास को लेकर लोकप्रिय हुए थे, अब इस बयान से अपनी छवि को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
घटना की विस्तृत जानकारी
वीडियो में बिधुड़ी ने कहा था, "लालू यादव ने बिहार की सड़कों को हेमा मलिनी के गालों जैसी बनानें का वादा किया, पर पूरा नहीं हुआ। मैं कैल्काजी की सभी सड़कों को प्रियांका गांधी के गालों जैसी बनाऊँगा।" यह टिप्पणी अर्द्ध‑हास्य और लैंगिक अपमान का मिश्रण थी, जिसे कई लोग "भेदभावपूर्ण" कह कर निरस्त करने लगे।
वाक्य के बाद भी बिधुड़ी ने यह तर्क दिया कि वह केवल इतिहास में लल्लू यादव की तुलना को दोहरा रहे हैं, पर आलोचकों का कहना है कि समय बदल गया है और ऐसी बातें अब बर्दाश्त नहीं होनी चाहिए।
- वीडियो का पहला प्रसारण: 2 मार्च 2025, फ़ेसबुक और ट्विटर पर
- वायरल शेयर: 1.2 मिलियन तक पहुंचा
- बीजेपी के भीतर त्वरित प्रतिक्रिया: कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं
- कांग्रेस और AAP की तीव्र निंदा
पार्टी‑पार्टी की प्रतिक्रिया
भारतीय जनी कांग्रेस ने बिधुड़ी के बयान को "RSS‑आधारित महिला‑विरोधी सोच" कहा और तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेश कुमार ने कहा, "ऐसे बयान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत हैं।"
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने इसे "शर्मनाक" कहा और महिलाओं के खिलाफ लगातार किए जा रहे अपमान के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। AAP के मुख्य अधिकारी अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हम इस मुद्दे को चुनावी गिरावट का कारण नहीं बनने देंगे।"

महिलाओं के वोटर पर संभावित प्रभाव
Delhi Election Commission के डेटा के अनुसार, 2020 में महिलाओं ने कुल वोटों में 52% भाग लिया था। अगर बिधुड़ी की इस टिप्पणी के कारण 5-7% महिला वोटर बीजेपी से दूर हो जाएँ, तो कुल मिलाकर लगभग 30,000 वोटों का अंतर बन सकता है—जो कई सीटों में जीते‑हारने का कारण बन सकता है। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. नीतू प्रताप ने कहा, "ऐसे लैंगिक‑सेंसिटिव मुद्दे असंतुलित वोटिंग पैटर्न को बदल सकते हैं, खासकर युवा महिलाओं में।"
आगे की संभावनाएँ और चुनावी रणनीति
बिधुड़ी अब अपने समर्थन आधार को बचाने के लिए दो राहें देख रहे हैं: या तो सार्वजनिक माफी देकर पुनः विश्वास जता सकते हैं, या फिर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर बहस का हिस्सा बनाकर विपक्षी पार्टियों को उलझा सकते हैं। वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय नेता ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, जिससे भीतर शत्रुता और संदेह दोनों ही बढ़ रहे हैं।
कुल मिलाकर, यह विवाद केवल एक व्यक्ति का मुद्दा नहीं, बल्कि पार्टी की महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को परखने का मौका बन गया है। यदि बीजेपी इस खींचतान को सुदृढ़ संवाद और महिलाओं के कल्याण के कार्यक्रमों से समेट लेता है, तो वह नुकसान को कम कर सकता है; अन्यथा यह चुनावी मैदान में बड़ा बुहारी बन सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या यह विवाद बीजेपी की दिल्ली में जीत को प्रभावित कर सकता है?
संभावना है। महिलावर्ग दिल्ली के कुल वोटर का आधे से अधिक हिस्सा बनाता है, और बिधुड़ी की टिप्पणी ने कई महिलाओं में असहजता पैदा की है। यदि यह भावना व्यापक हो जाए, तो यह बीजेपी के मतदाताओं में गिरावट ला सकता है, खासकर उन सीटों में जहाँ मतदाताओं का अंतर कम है।
कांग्रेस और AAP ने इस मामले में क्या कदम उठाए हैं?
कांग्रेस ने इस बयान को "भेदभावपूर्ण" कहा और बीजीपी से अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की। AAP ने इसे "शर्मनाक" कहा और महिलाओं के खिलाफ निरंतर अपमान की ओर इशारा करते हुए इस मुद्दे को अपनी चुनावी मोर्चे पर जोड़ लिया है। दोनों पार्टियों ने जनसंवाद में इस बात को प्रमुखता दी है।
बिधुड़ी ने अपनी टिप्पणी के बारे में क्या कहा?
बिधुड़ी ने कहा कि वह केवल लल्लू यादव की तुलना को दोहराते हुए इतिहास का हवाला दे रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनका इरादा कोई अपमान नहीं था, बल्कि सड़कों के विकास के बारे में पेशेवर मजाक था। यह वाक्य प्रमाणित नहीं हो सका और सार्वजनिक आलोचना का शिकार रहा।
क्या इस विवाद ने किसी नई नीति या नियम को जन्म दिया?
अभी तक कोई आधिकारिक नीति नहीं बनी है, पर चुनाव आयुक्त ने सभी उम्मीदवारों से ऐसी टिप्पणियों से बचने का आह्वान किया है। कई राजनैतिक विश्लेषकों ने सुझाव दिया कि भविष्य में चुनावी कोड में लैंगिक सम्मान के प्रावधान जोड़ने की जरूरत है।
कैल्काजी क्षेत्र में भविष्य की राजनीति कैसे बदल सकती है?
कैल्काजी अब न सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर की बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी की भी बेंचमार्क बन गया है। यदि बिधुड़ी इस विवाद को सुलझा नहीं पाते, तो विरोधी पार्टियां इस क्षेत्र में अधिक सक्रिय हो सकती हैं और युवा व महिला मतदाताओं के समर्थन को जीतने के लिए विविध योजनाएं पेश कर सकती हैं।
Rajnish Swaroop Azad
अक्तू॰ 7, 2025 AT 03:31 पूर्वाह्नबिधुड़ी का बयान राजनीति में एक धुंधला दर्पण है जो समाज की नज़र को उलट‑पलट कर देता है
हम सबको याद रखना चाहिए कि शब्दों का असर केवल चुनाव तक सीमित नहीं है
इस तरह की तुलना मानवीय गरिमा को किनारे धकेल देती है
समय के साथ हमें अधिक संवेदनशीलता की जरूरत है
सिर्फ जीत के लिए असभ्य शब्द उपयोग नहीं होना चाहिए