क्या कहता है IMD का पूर्वानुमान
अगले एक हफ्ते तक राजधानी इलाके में रोज कहीं न कहीं तेज बारिश—यही संकेत भारतीय मौसम विभाग (IMD) दे रहा है। 5 से 10 सितंबर के बीच दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में लगातार बरसात का दौर चलेगा। 6-7 सितंबर और फिर 9 सितंबर को गरज-चमक के साथ तेज बौछारें आने की सबसे ज्यादा संभावना है। 5 सितंबर को बारिश मध्यम रहेगी, 8 सितंबर की दोपहर-शाम में कुछ घंटों के लिए बादल छंट सकते हैं, जबकि 10 सितंबर को आकाश आंशिक बादली रहने के संकेत हैं।
तापमान इस दौरान मौसमी औसत से थोड़ा नीचे रहने की उम्मीद है—अधिकतम 34-35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 23-25 डिग्री सेल्सियस के बीच। हवा की दिशा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पूर्व की ओर बदलती रहेगी और गति 10-25 किमी/घंटा तक रह सकती है। नमी अधिक रहेगी, इसलिए चिपचिपी गर्मी और उमस महसूस होगी, खासकर देर शाम को।
3 सितंबर को शहर में मध्यम बारिश दर्ज हुई थी। न्यूनतम तापमान 23.2°C और अधिकतम 26°C के आसपास रहा, सापेक्ष आर्द्रता 88% तक पहुंची। हवा की रफ्तार करीब 16.2 किमी/घंटा रही और पूरे दिन बारिश की संभावना बहुत ऊंची (करीब 96%) आंकी गई। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 75 पर ‘मॉडरेट’ श्रेणी में रहा—बारिश के साथ धूल और ओजोन दोनों में कुछ कमी दिखी।
IMD ने उत्तर-पश्चिम भारत के बड़े हिस्से के लिए भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर कहीं-कहीं अत्यधिक भारी बारिश (extremely heavy) के संकेत हैं। गुजरात में 4-5 सितंबर को बहुत तेज बारिश का जोर रह सकता है। पहाड़ों में भारी बारिश का असर मैदानी नदियों के स्तर पर दिखता है, इसलिए यमुना के जलस्तर पर भी शहर प्रशासन की नजर रहेगी—फिलहाल स्थिति सामान्य है, पर ऊपरी कैचमेंट में तेज बारिश होती है तो स्तर में तेजी से बदलाव संभव है।
बरसात की श्रेणियां जानना भी उपयोगी है: IMD के अनुसार 64.5-115.5 मिमी/दिन ‘भारी’, 115.6-204.4 मिमी/दिन ‘बहुत भारी’ और 204.5 मिमी/दिन या उससे अधिक ‘अत्यधिक भारी’ मानी जाती है। 6-7 और 9 सितंबर जैसे दिनों में गरज-चमक और बौछारों की तीव्रता मिली-जुली हो सकती है, यानी कहीं हल्की, कहीं अचानक तेज वर्षा—यही पैटर्न ट्रैफिक और जलभराव की मुश्किलें बढ़ाता है।
आपके लिए इसका मतलब क्या है: असर, तैयारी और सलाह
बारिश की यह स्पेल राहत भी देगी और चुनौती भी। ट्रैफिक धीमा रहेगा, कई इलाकों में जलभराव, बस रूट में बदलाव और उड़ानों में देरी संभव है। मौसम के खतरे (गरज-चमक, बिजली गिरना) को देखते हुए कुछ जिलों में प्रशासन एहतियात के तौर पर स्कूल बंद रखने का फैसला ले सकता है—स्थानीय आदेशों पर नजर रखें।
- सड़कें और अंडरपास: निचले इलाकों और अंडरपास में पानी भरने का जोखिम ज्यादा रहता है। ऐसे मार्गों से बचें या विकल्प पहले से तय करें।
- बिजली और नेटवर्क: भारी बारिश और तेज हवा से ट्रिपिंग/लाइन फॉल्ट हो सकते हैं। पावर बैंक चार्ज रखें, जरूरी दस्तावेज ऑफलाइन सेव करें।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट: बसें धीमी/डाइवर्ट हो सकती हैं। मेट्रो सामान्य रहती है, पर एंट्री-एग्जिट पर फिसलन और भीड़ के लिए समय ज्यादा रखें।
- एयरपोर्ट/रेलवे: सुरक्षा कारणों से रनवे/ट्रैक क्लियरेंस में देरी होती है। स्टेटस जांचकर घर से निकलें और अतिरिक्त समय रखें।
- स्कूल: जिला प्रशासन मौसम के हिसाब से अलग-अलग दिन घोषित कर सकता है। अभिभावक स्कूल के आधिकारिक संदेश/स्थानीय प्रशासन की सलाह देखें।
बारिश के दौरान सुरक्षा सबसे पहले। गरज-चमक होने पर खुले मैदान, छत, पार्क, पानी के निकट या धातु के शेड से दूर रहें। पेड़ के नीचे खड़े होकर बारिश से बचना जोखिम भरा है। इलेक्ट्रिक पोल, लोहे की रेलिंग और बाढ़ग्रस्त जगहों में पड़े खुले तारों से दूरी रखें। घर पर संवेदनशील उपकरणों को सर्ज प्रोटेक्टर पर चलाएं और बिजली कड़के तो चार्जिंग में लगे फोन/लैपटॉप से दूरी बनाएं।
- ड्राइविंग चेकलिस्ट: वाइपर, ब्रेक और टायर-ट्रेड जांचें, हेडलाइट लो-बीम पर रखें, स्पीड कम रखें, आगे वाहन से दूरी बढ़ाएं। पानी भरे रास्ते में इंजन रेव न करें, रुक-रुक कर गुजरें। गहरी जगह दिखे तो वापस लौटें—इंजन हाइड्रो-लॉक महंगा नुकसान कर सकता है।
- कम्यूटर किट: रेनकोट/छाता, वाटरप्रूफ बैग कवर, एक जोड़ी सूखे कपड़े, टॉर्च, पावर बैंक, जरूरी दवाएं साथ रखें।
- घर की तैयारी: छत/बालकनी की नालियां साफ करें, बेसमेंट/ग्राउंड-फ्लोर पर सामान ऊंचाई पर रखें, डिस्ट्रिप/सैंडबैग से पानी रोकने की व्यवस्था करें। टॉर्च, बैटरी, पीने का पानी और सूखा नाश्ता स्टॉक में रखें।
स्वास्थ्य की तरफ भी ध्यान दें। लगातार नमी से फंगल इंफेक्शन और वायरल बुखार बढ़ते हैं। हाथ धोना, साफ पीने का पानी, पत्तेदार सब्जियों को अच्छी तरह धोना और गीले जूतों/कपड़ों को जल्दी सुखाना मदद करेगा। मच्छरों के पनपने से डेंगू/मलेरिया का खतरा बढ़ता है—घर के आसपास जमा पानी तुरंत हटाएं और रिपेलेंट का इस्तेमाल करें।
ऑफिस और बिजनेस के लिए स्मार्ट प्लान काम आता है। 6-7 और 9 सितंबर जैसे पीक दिनों में वर्क-फ्रॉम-होम/हाइब्रिड, स्टैगर्ड शिफ्ट, और देर शाम की मीटिंग्स टालना ट्रैफिक दबाव कम कर सकता है। ई-कॉमर्स/डिलीवरी स्लॉट जल्दी रखें ताकि बौछारों के समय में फंसना न पड़े। इवेंट/आउटडोर शूट, स्कूल स्पोर्ट्स डे, या मैराथन जैसी गतिविधियां हों तो बैकअप इनडोर प्लान तैयार रखें।
आवासीय सोसायटियों के लिए—पंप-हाउस, डी-वॉटरिंग पंप और डीजल जेनसेट की टेस्ट-रनिंग कर लें। ड्रेनेज ग्रिल और रेन-वॉटर हार्वेस्टिंग पिट साफ रखें। सुरक्षा गार्डों के पास रेन-गियर और बेसिक फर्स्ट-एड किट रखें। आपात स्थिति में राष्ट्रीय हेल्पलाइन 112 पर संपर्क किया जा सकता है।
ध्यान रहे, 8 और 10 सितंबर को बादल कुछ समय के लिए छंटेंगे, लेकिन लोकल माइक्रोबर्स्ट और बिजली कड़कने जैसी घटनाएं बिना चेतावनी के भी हो सकती हैं। इसलिए IMD के रियल-टाइम ‘नाउकास्ट’ और जिला प्रशासन की एडवाइजरी पर नजर रखें। शहर में दिल्ली-एनसीआर बारिश का यह दौर अगस्त की गर्मी से राहत देगा, पर सोमवार-सुबह वाली भीड़भाड़ और जलभराव जैसे पुराने दर्द भी साथ ला सकता है—यानी प्लानिंग ही सबसे बड़ी ढाल है।
Vrushali Prabhu
सित॰ 5, 2025 AT 18:30 अपराह्नबारिश वाले दिन में chai और samosa का combo मज़ेदार रहता है।
parlan caem
सित॰ 15, 2025 AT 00:44 पूर्वाह्नसरकारी निकास मार्गों की योजना तो गड़बड़ ही है, ट्रैफिक जाम और जलभराव का दायरा कोई बर्दाश्त नहीं कर सकता। बजट में ढीला धन क्यों नहीं लगाया जाता पहले से ही बुनियादी ढाँचा सुधारने को? हर साल वही बहाने, वही शिथिलता, आखिर क्या हो रहा है।
Mayur Karanjkar
सित॰ 24, 2025 AT 06:57 पूर्वाह्नबारिश केवल जलवायु चक्र नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन का एक संकेत है; हमें उसकी तैयारियों को सामुदायिक जिम्मेदारी के रूप में देखना चाहिए।
Sara Khan M
अक्तू॰ 3, 2025 AT 13:10 अपराह्नबिलकुल सही कहा आपने 🙌, लोग अक्सर व्यक्तिगत असुविधा पर फोकस कर देते हैं, पर सामुदायिक सहयोग से कारावाई आसान हो जाती है 😊।
shubham ingale
अक्तू॰ 12, 2025 AT 19:24 अपराह्नचलो सभी माइंडसेट बदलें, बारिश में भी काम बनेगा टाइममैनेजमेंट से हम टाल सकते हैं डिले 🚀
Ajay Ram
अक्तू॰ 22, 2025 AT 01:37 पूर्वाह्नदिल्ली-एनसीआर में इस सप्ताह लगातार बरसात की भविष्यवाणी मौसम विज्ञानियों को भी थोड़ा भारी पड़ रही है।
विशेषकर 6‑7 और 9 सितंबर को गरज-चमक के साथ तेज बौछारों का प्रकोप अनुमानित है, जिससे ट्रैफिक मैनेजमेंट में नई चुनौतियां उभरेंगी।
सार्वजनिक परिवहन के मोड, जैसे मेट्रो की संचालन क्षमता पर इस मौसम के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए समय‑समय पर रूट री-डिजाइन करना आवश्यक हो सकता है।
सड़कों की जल निकासी प्रणाली को पुनः मूल्यांकन करना और जल-ट्रैप के बिंदुओं को साफ़ करना इस दौरान प्राथमिकता बनना चाहिए।
साथ ही, एंटी‑फ्लड सेंसर्स की लीगेटेशन और रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम को सक्रिय करने से आपातकालीन प्रतिक्रिया तेज़ होगी।
इन्फ्रास्ट्रक्चर की सतत देखरेख के तहत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के उपाय, जैसे ड्रेनेज ग्रिल की सफाई, अत्यंत प्रभावी सिद्ध होते हैं।
निजी और सरकारी दोनों स्तर पर रेन‑वॉटर हार्वेस्टिंग पहल को प्रोत्साहित करने से जलस्रोतों की रक्षा भी हो सकती है।
कंपनियों में वर्क‑फ़्रॉम‑होम या हाइब्रिड मॉडल अपनाने से पीक ट्रैफिक लोड कम होगा और कर्मचारी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
स्कूल प्रशासन को स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय कर वैकल्पिक शेड्यूल बनाना चाहिए, जिससे छात्रों की सुरक्षा प्राथमिकता बनी रहे।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सुरक्षा के लिए सर्ज़ प्रोटेक्टर उपयोग को अनिवार्य किया जाना चाहिए, क्योंकि बिजली के बिखराव की संभावना बढ़ती है।
स्वास्थ्य संबंधी पहल में फंगल इन्फेक्शन और डेंगू के जोखिम को कम करने हेतु घर में जमे पानी को हटाना और उचित कीटाणु निवारक का प्रयोग जरूरी है।
राजधानी के एयरपोर्ट को रनवे क्लियरेंस में संभावित देर के बारे में यात्रियों को अग्रिम सूचना देना, ग्राहक संतुष्टि को बढ़ाएगा।
जलस्तर मॉनिटरिंग के लिए यूटीआई कम्युनिटी से डेटा शेयरिंग को बढ़ावा देना, जलप्रभावी नीतियों को सुदृढ़ करेगा।
अंत में, नागरिकों को व्यक्तिगत स्तर पर रेनकोट, वाटरप्रूफ बैग और पॉवर बैंक जैसे आपातकालीन किटों को तैयार रखना चाहिए, जिससे अप्रत्याशित स्थिति में सहजता रहे।
इस समग्र दृष्टिकोण से न केवल मौसमी असुविधा कम होगी, बल्कि दीर्घकालिक शहरी नियोजन में भी नई दिशा मिलेगी।
इसलिए, तैयारी में प्रोत्साहन और सामुदायिक सहयोग ही इस बारिश के दौर को सफल बनाने की कुंजी है।
Dr Nimit Shah
अक्तू॰ 31, 2025 AT 06:50 पूर्वाह्नहमारी मौसमी तैयारी में भारतीय तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, यह देखकर गर्व महसूस होता है।
Ketan Shah
नव॰ 9, 2025 AT 13:04 अपराह्नसरकार के इन प्रयासों को देखकर स्थानीय प्रशासन को भी तेज़ी से कार्यान्वयन करना चाहिए, ताकि जनता को वास्तविक लाभ मिले।
Aryan Pawar
नव॰ 18, 2025 AT 19:17 अपराह्नभाई सब लोग रेनकोट ले लो और गाड़ियां धीरे चलाओ पावड़े में फँसे नहीं तो बाद में पछताओगा
Shritam Mohanty
नव॰ 28, 2025 AT 01:30 पूर्वाह्नक्या आपको नहीं लगता कि इस लगातार बारिश का पैटर्न सिर्फ मौसम नहीं बल्कि किसी छिपी हुई योजना का हिस्सा है? हाई‑डिमेन्शनल सैटेलाइट डेटा को देख कर पता चलता है कि कुछ बड़े कॉरपोरेट्स जलसेवा के शेयर को बढ़ाने के लिए इसे मैनेज कर रहे हैं।
Anuj Panchal
दिस॰ 7, 2025 AT 07:44 पूर्वाह्नड्रेनएज इन्फ्रास्ट्रक्चर की कैपेसिटी एनालिसिस के लिए हम हाइड्रो‑डायनामिक मॉडलिंग अपनाएंगे, जिससे पीक फ्लड रिस्क को सटीक रूप से प्रेडिक्ट किया जा सकेगा।
Prakashchander Bhatt
दिस॰ 16, 2025 AT 13:57 अपराह्नचलो इस मौसम को अवसर बनाकर हर घर में रेन‑वॉटर कलेक्शन सिस्टम लगाएँ, इससे पानी की बचत भी होगी और जल संकट से लड़ने में मदद मिलेगी।