इजरायली हमलों ने दक्षिणी बेरूत को फिर से निशाना बनाया

दक्षिणी बेरूत पर इजरायली हमले

दक्षिणी बेरूत एक बार फिर इजरायली हमलों का लक्ष्य बना है। रविवार को इजरायली सेना द्वारा दिए गए निष्कासन आदेश के ठीक बाद, आधिकारिक लेबनानी मीडिया ने इस बात की पुष्टि की कि चार ताजा हवाई हमले किए गए हैं। इन हमलों ने हिजबुल्लाह के गढ़ को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जहां पांच बड़ी इमारतें अब मलबे के ढेर में तब्दील हो चुकी हैं। वहां की सड़कें विशाल क्रेटर से भरी हुई हैं, जो इस विनाशकारी कार्रवाई की गंभीरता को दर्शाती हैं।

इस संघर्ष के चलते लेबनान में हजारों लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में हैं। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस संघर्ष के कारण 23 सितंबर से अब तक 1,000 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि सैंकड़ों हजार लोग अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हो चुके हैं। इस संघर्ष की जड़ें काफी गहरी हैं, क्योंकि हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्ला की हत्या के बाद इसने एक नई गति पकड़ी है। इजरायल ने हिजबुल्लाह के संभावित उत्तराधिकारियों को लक्षित करना शुरू कर दिया है, जिसमें हाशेम सफीद्दीन जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।

हिजबुल्लाह के खुफिया मुख्यालय पर हमले

इजरायली सेना ने बेरूत में हिजबुल्लाह के खुफिया मुख्यालयों को निशाना बनाते हुए बिलकुल ठीक हमला किया है। इजरायल ने हिजबुल्लाह पर सीरिया के मुख्य अंतरराष्ट्रीय सीमा क्रॉसिंग का उपयोग करके हथियारों की तस्करी का आरोप लगाया है। इन आरोपों के बीच, सीरिया की दिशा में जाने वाली मुख्य सड़क को बंद कर दिया गया है, जिससे हजारों लोग फंसे हुए हैं।

हिजबुल्लाह लंबे समय से सीरिया के माध्यम से अपने मूल समर्थक ईरान से हथियार और अन्य उपकरण लाने के लिए निर्भर रहा है। सड़क के बंद होने से जमा भीड़ और संघर्ष की स्थिति ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। पूरी तरह से अवरुद्ध सड़क के कारण न केवल यात्रा बाधित हुई है, बल्कि लोग और वस्त्र भी गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।

गौरतलब तथ्यों का विश्लेषण

गौरतलब तथ्यों का विश्लेषण

इस संघर्ष में इजरायली सेना ने भूमि अभियानों का विस्तार किया है, जिसके तहत उसने दक्षिणी लेबनान में कुछ इलाकों पर फौज उतारी है। इज़रायल के अनुसार, उसने सोमवार से फैले हुए निशानेबाजी अभियानों के चलते लगभग 440 हिजबुल्लाह लड़ाकों को मार गिराया है।

यह संघर्ष सिर्फ इज़रायल और हिजबुल्लाह के बीच नहीं है बल्कि व्यापक रूप से गाजा और इज़रायल के बीच चल रहे विवाद का एक भाग है। गाजा में चल रहे युद्ध ने हजारों लोगों की जान ली है। हामास द्वारा संचालित क्षेत्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, करीब 41,870 लोग इस हिंसा में मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश नागरिक हैं। यह संख्या संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी विश्वसनीय मानी गई है, जो इस संघर्ष की भारी मानवीय संकट को उजागर करता है।

akhila jogineedi

akhila jogineedi

मैं एक पत्रकार हूँ और मेरे लेख विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय समाचारों पर केंद्रित होते हैं। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाओं पर विशेषज्ञता रखती हूँ। मेरा मुख्य उद्देश्य जानकारीपूर्ण और सटीक समाचार प्रदान करना है। मैं जयपुर में रहती हूँ और यहाँ की घटनाओं पर भी निगाह रखती हूँ।

टिप्पणि (12)

wave
  • shubham garg

    shubham garg

    अक्तू॰ 7, 2024 AT 07:02 पूर्वाह्न

    भाई, ये तो फिर से बहुत बुरा हो गया।

  • LEO MOTTA ESCRITOR

    LEO MOTTA ESCRITOR

    अक्तू॰ 12, 2024 AT 05:26 पूर्वाह्न

    इज़राइल‑हिजबुल्ला के बीच के इस जहमत को देखते हुए, हमें शांति के रास्ते खोजने चाहिए। चाहे राजनीति कितनी भी जटिल हो, मानवीय suffering को नजरअन्दाज़ नहीं किया जा सकता। इस संघर्ष का असर सिर्फ लेबनान तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में धड़कनें तेज कर रहा है। हमें आशा रखनी चाहिए कि अंत में संवाद ही समाधान लाएगा।

  • Sonia Singh

    Sonia Singh

    अक्तू॰ 17, 2024 AT 03:30 पूर्वाह्न

    दिख रहा है कि आधिकारिक आंकड़े बहुत बेतहाशा हैं, पर जमीन पर लोग रोज़ नई त्रासदी का सामना कर रहे हैं। भोजन, पानी और मेडिकल सप्लाई की कमी से लोगों की जिंदगी और भी मुश्किल हो गई है। इस हालत में अंतरराष्ट्रीय मदद की तात्कालिक जरूरत है।

  • Ashutosh Bilange

    Ashutosh Bilange

    अक्तू॰ 22, 2024 AT 01:33 पूर्वाह्न

    यार, ये तो पूरा हिट ड्रिल बना दिया इज़राइल ने!
    सिवाय इमारतों के ध्वस्त हो जाने के, अब तो लोग गड्डियों में फँसे हुए हैं।
    हिजबुल्ला की गैलरी को भी निशाना बना दिया गया।
    आखिर कब तक ये ज्वाला बर्न करेगी इस धरती को?
    हमें आवाज़ उठानी चाहिए, वरना सब कुछ धुंधला हो जाएगा।

  • Kaushal Skngh

    Kaushal Skngh

    अक्तू॰ 26, 2024 AT 23:36 अपराह्न

    समय-समय पर रिपोर्टों में अंतर रहता है, पर एक बात साफ़ है कि मानवीय पीड़ा बढ़ती ही जा रही है। मोबाइल और इंटरनेट बंद होने से खबरों की पहुंच सीमित हो रही है। हम सभी को सच्चाई को तलाशना चाहिए और फर्जी खबरों से बचना चाहिए।

  • Harshit Gupta

    Harshit Gupta

    अक्तू॰ 31, 2024 AT 21:40 अपराह्न

    इज़राइल की इस निशाना साधने की नीति बिलकुल बेमानी है, वो अपने ही हितों को आगे बढ़ा रहा है। पूरे मिडल ईस्ट को इस तरह के अंधेरे से बाहर निकालने की जरूरत है। अगर हम सब एकजुट हुए तो ही इस खतरे को रोक सकते हैं। इस वजह से हमें अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबाव बनाना चाहिए।

  • HarDeep Randhawa

    HarDeep Randhawa

    नव॰ 2, 2024 AT 01:26 पूर्वाह्न

    समझता हूँ, लेकिन क्या हम यह नहीं भूल रहे कि हर कार्रवाई का अपना प्रतिउत्तर होता है?; इस तरह की तीव्र भाषा से कभी‑कभी समाधान नहीं निकलता; शांति के लिए संवाद आवश्यक है।

  • Nivedita Shukla

    Nivedita Shukla

    नव॰ 3, 2024 AT 05:13 पूर्वाह्न

    बहुत गहराई से सोचते हुए, मैं कहूँगा कि इस जंग में हर टिक-टॉक हमें मेरे अस्तित्व की दहलीज पर ले जाता है। जब तक हम अपने अंदर की जंजीरों को तोड़ नहीं पाएँगे, तब तक बाहरी जंग का अंत नहीं होगा।

  • Rahul Chavhan

    Rahul Chavhan

    नव॰ 4, 2024 AT 09:00 पूर्वाह्न

    आजकल के समाचार में हर चीज़ तेज़ी से बदलती दिखती है, इसलिए हमें कई स्रोतों से जानकारी लेनी चाहिए। इस समय में धैर्य और स्पष्टता दोनों ही ज़रूरी हैं।

  • Joseph Prakash

    Joseph Prakash

    नव॰ 5, 2024 AT 12:46 अपराह्न

    👍 सही कहा तुमने, जानकारी का सही स्रोत ढूँढना बहुत ज़रूरी है। 📰 भरोसेमंद रिपोर्ट पढ़ते रहो, ताकि भ्रम न फैले।

  • Arun 3D Creators

    Arun 3D Creators

    नव॰ 6, 2024 AT 16:33 अपराह्न

    यह संघर्ष सिर्फ एक बलवान की कथा नहीं, बल्कि अनगिनत इंसानों की लगा दी हुई कसम है जो अपने भविष्य की तलाश में है। प्रत्येक बमबारी एक आवाज़ बन जाती है, जो अंततः शांति की पुकार बनती है।

  • RAVINDRA HARBALA

    RAVINDRA HARBALA

    नव॰ 7, 2024 AT 20:20 अपराह्न

    पहले तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि इज़राइल की हवाई हमले एक रणनीतिक कदम थे, जिसका उद्देश्य हिज़्बुल्ला की कमांड संरचना को ध्वस्त करना था।
    दूसरा, इस तरह के लक्ष्यकर्म में आम तौर पर सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी प्रभाव पड़ता है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा जोखिम में आ जाती है।
    तीसरा, लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आँकड़े दिखाते हैं कि इस संघर्ष में मौतों की संख्या पहले से ही हजारों में पहुँच चुकी है।
    चौथा, अंतरराष्ट्रीय मीडिया अक्सर इस तथ्य को नजरअन्दाज़ कर देती है कि इन आँकड़ों में शरणार्थियों की स्थिति भी शामिल है।
    पाँचवाँ, यह सटीक नहीं है कि केवल हिज़्बुल्ला ही इस नुकसान के लिये जिम्मेदार हो, बल्कि कई बार रणनीतिक गलती से भी ऐसे परिणाम होते हैं।
    छठा, इज़राइल की ओर से जारी किए गए अतिरिक्त आर्थिक प्रतिबंधों ने लेबनान की अर्थव्यवस्था पर भी दबाव डाला है।
    सातवां, इस दबाव का सीधा असर स्थानीय छोटे व्यापारियों और किसान समुदाय पर पड़ रहा है।
    आठवां, इस बीच, अंतरराष्ट्रीय मानवीय संगठनों की सहायता भी सीमित हो गई है क्योंकि पहुँच को सुरक्षित नहीं किया जा रहा है।
    नौवां, यह स्थिति एक बिंदु पर पहुँचती है जहाँ स्थानीय स्वास्थ्य सेवाएँ भी पर्याप्त नहीं रह पातीं।
    दसवां, इस कारण से कई रोगी उपचार से वंचित रह जाते हैं, जो मानवाधिकारों के उल्लंघन के समान है।
    ग्यारहवां, इस संघर्ष का दीर्घकालिक प्रभाव क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ेगा, जो भविष्य में व्यापक आर्थिक मंदी का कारण बन सकता है।
    बारहवां, इस प्रकार के कई पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तुरंत मध्यस्थता में संलग्न होना चाहिए।
    तेरहवां, वैकल्पिक उपायों में मानवीय एयरड्रॉप, चिकित्सा सहायता की त्वरित उपलब्धता और शांतिपूर्ण वार्ता के लिए मंच बनाना शामिल है।
    चौदहवां, यदि ये कदम नहीं उठाए गए, तो इस क्षेत्र में और अधिक विस्फोटक घटनाएं हो सकती हैं।
    पंद्रहवां, अंततः, मानवता की बेहतरी ही इस सब से बड़ी जीत होगी, न कि किसी भी पक्ष की सैन्य जीत।

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