साइक्लोन मोंथा के बाद उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी, मिर्जापुर और वाराणसी में तूफानी हालात

साइक्लोन मोंथा ने 29 अक्टूबर, 2025 को सुबह 2:30 बजे आंध्र प्रदेश के तट पर जमीन छूते ही अपनी ताकत खोनी शुरू कर दी, लेकिन इसके बाद भी उत्तर प्रदेश के करीब 20 जिलों में भारी बारिश और तापमान में तेज गिरावट का खतरा बना हुआ है। साइक्लोन मोंथा ने नरसापुर के 20 किमी पश्चिम-उत्तर में जमीन छूई, और अब यह एक सामान्य चक्रवात में बदल चुका है। लेकिन जब तक आंध्र प्रदेश के तट पर यह तूफान था, तब तक उसकी नमी और ऊर्जा उत्तर की ओर बह रही थी — और अब वह उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के लाखों लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।

क्यों बढ़ रही है बारिश की चिंता?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के लखनऊ केंद्र ने 29-31 अक्टूबर के दौरान मिर्जापुर और वाराणसी विभाग के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। विशेष रूप से 30 अक्टूबर सुबह 8:30 बजे से 31 अक्टूबर सुबह 8:30 बजे तक, बलिया, घाजीपुर, संत रविदास नगर, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, और प्रयागराज में बहुत भारी बारिश की संभावना है। यह तूफानी नमी, जो बंगाल की खाड़ी से आ रही थी, अब अरब सागर के एक निम्न दबाव क्षेत्र और पश्चिमी विक्षेप के साथ मिल गई है — एक ऐसा त्रिकोण जिसका असर उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में दिख रहा है।

तापमान में अचानक गिरावट, लेकिन नमी बढ़ी

पिछले 24 घंटों में उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। ओराय में तापमान 9.8 डिग्री सेल्सियस तक गिरा, जबकि लखनऊ में यह गिरावट 3.8 डिग्री रही — अब यहां अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस पर रहा। लेकिन यह राहत नहीं, बल्कि एक नया खतरा है। नमी का स्तर बढ़ गया है, और लोगों को अचानक बदलते मौसम का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, 29-31 अक्टूबर के दौरान दिनभर में तापमान में 4-6 डिग्री का अंतर हो सकता है — यानी सुबह 22 डिग्री और दोपहर 28 डिग्री, फिर रात को फिर से 24 डिग्री। यह तेज उतार-चढ़ाव बुजुर्गों और बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है।

पूरे उत्तर प्रदेश में फैल रहा प्रभाव

मिर्जापुर और वाराणसी के अलावा, अम्बेडकर नगर, सुल्तानपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देओरिया, मौ, अजमोल, जौनपुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और चित्रकूट में भी भारी बारिश की संभावना है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बिजली चमकने और 30-40 किमी/घंटा की तेज हवाओं की भी चेतावनी जारी की गई है। यह सब तब हो रहा है जब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का कहना है कि साइक्लोन मोंथा के अवशेष अभी भी बिहार और उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्सों में बारिश का कारण बने हुए हैं।

दिल्ली-एनसीआर में भी बदलाव

दिल्ली-एनसीआर में भी बदलाव

दिल्ली-एनसीआर के लिए भी बदलाव की तैयारी है। IMD के अनुसार, पश्चिमी विक्षेप के प्रभाव से अगले दो दिनों तक हल्की बारिश और बिजली चमकने की संभावना है। यह एक अच्छी खबर लग सकती है — क्योंकि दिल्ली में पिछले दो हफ्तों से तापमान 38-40 डिग्री के आसपास रहा — लेकिन यह बारिश भी अचानक हो सकती है, और नमी के साथ बाहर निकलना मुश्किल हो सकता है। एक अधिकारी ने कहा, "हमें बारिश के साथ जुड़े रिस्क को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर बारिश तेज हुई, तो सड़कें बह जाएंगी, और जहां ड्रेनेज खराब है, वहां तो बस दुर्घटना होने का डर है।"

राजनीतिक प्रतिक्रिया: येडीपी का निरीक्षण

आंध्र प्रदेश में, वाईएस जगन्मोहन रेड्डी ने अपने पार्टी के क्षेत्रीय समन्वयकों और जिला अध्यक्षों के साथ तूफान के प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने का फैसला किया है। उनकी पार्टी ने घोषणा की है कि आपातकालीन आपूर्ति, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं को तुरंत सुनिश्चित किया जाएगा। लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी तक कोई बड़ा राजनीतिक बयान नहीं आया है — जिससे लोगों में चिंता बढ़ रही है। क्या सरकार तैयार है? यह सवाल अब बहुत सारे घरों में पूछा जा रहा है।

क्या आगे और बदलाव होंगे?

क्या आगे और बदलाव होंगे?

अगले 48 घंटों में तापमान फिर से 4-6 डिग्री बढ़ने की संभावना है — लेकिन यह गर्मी नहीं, बल्कि नमी के साथ आएगी। यानी गर्मी वापस आएगी, लेकिन बरसात के साथ। यह वास्तव में बहुत अजीब है — जैसे आपको गर्मी और बारिश दोनों का एक साथ सामना करना पड़े। अगर यह बारिश लगातार 24 घंटे तक चली, तो जिलों में जलभराव और बीमारियों का खतरा बढ़ जाएगा। IMD के अनुसार, यह तूफानी निकासी 2 नवंबर तक जारी रह सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मिर्जापुर और वाराणसी में भारी बारिश का क्या कारण है?

साइक्लोन मोंथा के बाद बंगाल की खाड़ी से नमी का बहाव अरब सागर के निम्न दबाव क्षेत्र और पश्चिमी विक्षेप के साथ मिल गया है। यह त्रिकोणीय वायु प्रवाह उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के ऊपर बादलों को जमा कर रहा है, जिससे बहुत भारी बारिश की संभावना है। विशेष रूप से बलिया, घाजीपुर और प्रयागराज में एक दिन में 150-200 मिमी बारिश हो सकती है।

तापमान में इतनी तेज गिरावट क्यों हो रही है?

बारिश और बादलों के कारण सूर्य की किरणें जमीन तक नहीं पहुंच पा रहीं। इसके अलावा, उत्तर की ओर बहने वाली ठंडी हवाएं भी तापमान को कम कर रही हैं। ओराय में 9.8 डिग्री की गिरावट इसी वजह से हुई है। लेकिन यह गिरावट स्थायी नहीं है — अगले दो दिनों में तापमान फिर से बढ़ सकता है, लेकिन नमी के साथ।

क्या दिल्ली-एनसीआर में भी बारिश होगी?

हां, दिल्ली-एनसीआर में अगले दो दिनों में हल्की बारिश और बिजली चमकने की संभावना है। यह पश्चिमी विक्षेप के प्रभाव से हो रहा है, जो उत्तर प्रदेश के बारिश के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन यह बारिश उत्तर प्रदेश की तरह भारी नहीं होगी — अधिकतर स्थानों पर 5-15 मिमी तक ही रहेगी।

क्या यह तूफान ग्रामीण क्षेत्रों को ज्यादा प्रभावित करेगा?

हां, ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश का असर ज्यादा गहरा होगा। यहां ड्रेनेज सिस्टम कमजोर है, सड़कें बुरी हालत में हैं, और आपातकालीन उपचार की सुविधाएं सीमित हैं। जिलों जैसे सोनभद्र और चंदौली में अक्सर बारिश के बाद पानी का अभाव हो जाता है — इस बार वही समस्या बढ़ सकती है। अगर बारिश लगातार रही, तो किसानों की फसलें भी डूब सकती हैं।

क्या इस तरह की बारिश अक्सर होती है?

नहीं, यह असामान्य है। अक्टूबर के अंत में इतनी भारी बारिश उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है। पिछले 20 सालों में केवल दो बार ऐसा हुआ है — 2010 और 2017 में। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं अब अधिक आम हो रही हैं।

लोगों को अभी क्या करना चाहिए?

घरों में पानी का भंडारण करें, बिजली के उपकरणों को ऊंचाई पर रखें, और बारिश के दौरान घर से बाहर न निकलें। बाढ़ के खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग तुरंत स्थानीय प्रशासन के संपर्क में आएं। आपातकालीन नंबर 1070 पर कॉल करें, और अगर आप बुजुर्ग या बीमार हैं, तो अपने पड़ोसियों से मदद मांगें।

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akhila jogineedi

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मैं एक पत्रकार हूँ और मेरे लेख विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय समाचारों पर केंद्रित होते हैं। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाओं पर विशेषज्ञता रखती हूँ। मेरा मुख्य उद्देश्य जानकारीपूर्ण और सटीक समाचार प्रदान करना है। मैं जयपुर में रहती हूँ और यहाँ की घटनाओं पर भी निगाह रखती हूँ।