भूमिहीन कैंप: आज की स्थिति और समाधान
भारत में हर साल लाखों लोग घर‑बिनाह हो जाते हैं—दुर्घटना, गरीबी या प्राकृतिक आपदा के कारण। इन लोगों को अस्थायी रहने का इंतजाम सरकार और कई NGOs कराते हैं, जिसे हम "भूमिहीन कैंप" कहते हैं। लेकिन ये शिविर सिर्फ छत्र नहीं, जीवन की नई शुरुआत भी होते हैं। तो चलिए देखते हैं कि ये कैंप कैसे काम करते हैं और हमें क्या करना चाहिए?
कैंपों में मिलती मुख्य सुविधाएँ
भूमिहीन कैंप अक्सर खाली जमीन या सरकारी भवनों पर सेट किए जाते हैं। यहाँ टेंट, बेडिंग, साफ‑सफाई की व्यवस्था और पानी का बेसिक सप्लाय होता है। कई बार स्वास्थ्य जांच, बच्चों के लिए स्कूल और महिलाओं के लिये कौशल प्रशिक्षण भी चलाया जाता है। उदाहरण के तौर पर उत्तराखंड में हालिया बाढ़ के बाद बनाये गये कैंपों में 30% बच्चे अब मुफ्त शिक्षा पा रहे हैं—ये छोटी‑छोटी उपलब्धियाँ बड़ी आशा देती हैं।
सामना की जाने वाली प्रमुख समस्याएँ
सबसे बड़ा मुद्दा है अस्थिरता। टेंट अक्सर खराब मौसम में फटते हैं, और जमीन पर बाढ़ या धूल के कारण स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है। स्वच्छता की कमी से संक्रमण फैलता है; कुछ कैंपों में डाइपर और सैनिटरी पैड जैसी बेसिक चीज़ें भी नहीं मिलतीं। इसके अलावा, रोजगार का अभाव रहता है—लोग केवल आश्रय पाने तक ही सीमित रह जाते हैं और आगे बढ़ने के अवसर नहीं मिलते।
एक और जटिल पहलू है सामाजिक कलंक। कई बार स्थानीय लोग कैंपों को गंदा या असुरक्षित मान कर दूर रखते हैं, जिससे बेघर लोगों का एकाकीपन बढ़ता है। इस तरह की सोच न सिर्फ मनोवैज्ञानिक दबाव बनाती है बल्कि मदद के लिए आगे आना भी कठिन बना देती है।
सरकारी और गैर‑सरकारी प्रयास
केन्द्र सरकार ने "शरणार्थी राहत अधिनियम" के तहत न्यूनतम मानक तय किए हैं—टेंट, पानी, स्वच्छता व स्वास्थ्य सेवाएँ अनिवार्य हैं। राज्यों में भी अलग‑अलग योजनाएं चल रही हैं; जैसे महाराष्ट्र का "घर बनाओ, जीवन बनाओ" प्रोग्राम जो कैंप से बाहर निकलकर स्थायी आवास प्रदान करने पर फोकस करता है। NGOs अक्सर कौशल प्रशिक्षण, माइक्रो‑लोन और मानसिक स्वास्थ्य सहायता देते हैं।
यदि आप मदद करना चाहते हैं तो स्थानीय स्वयंसेवी समूहों में जुड़ें या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिए दान दें। छोटे स्तर पर भी योगदान बड़ा फर्क डालता है—जैसे एक कपड़े की थैली या 500 रुपये का दान किसी परिवार को दो महीने तक चल सकता है।
समाप्ति नहीं, बल्कि शुरुआत यही है: जब हम कैंपों के सामने सिर्फ शरणस्थल नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का मंच देखें तो समाधान भी साथ आएंगे। यदि आप इस विषय में और जानकारी चाहते हैं या स्थानीय सहायता समूह खोज रहे हैं, तो नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें।
दिल्ली के कालकाजी भूमिहीन कैंप में डीडीए की बड़ी कार्रवाई: 350 झुग्गियों पर चला बुलडोजर, हजारों लोग बेघर
11 जून 2025 को दिल्ली के कालकाजी भूमिहीन कैंप में डीडीए ने हाईकोर्ट के आदेश पर तड़के बुलडोजर चलवा कर लगभग 350 झुग्गियां ढहा दीं। इस कार्रवाई से सैकड़ों गरीब परिवार बेघर हो गए। इसमें राजनीतिक विवाद भी खासा देखने को मिला।