चश्मा छुड़ाने: क्या-क्या विकल्प हैं और क्या उम्मीद रखें

चश्मा छुटाना हर किसी का लक्ष्य हो सकता है, लेकिन सच्चाई यह है कि हर किसी के लिए एक ही रास्ता सही नहीं होता। कुछ लोग सिर्फ आंखों की थकान कम कर के चश्मे पर कम निर्भर रहते हैं, तो कुछ लोग कॉन्टैक्ट लेन्स या सर्जरी से पूरी तरह छुटकारा पा लेते हैं। सबसे पहले यह तय कर लें कि आपकी उम्मीदें क्या हैं — आँखे स्वस्थ हैं या कोई बीमारी है, आपकी उम्र क्या है और आपकी रेसिपी कितनी बदलती रहती है।

त्वरित विकल्प: कॉन्टैक्ट लेन्स, ऑर्थो-के और सर्जरी

कॉन्टैक्ट लेन्स: रोज़ाना के इस्तेमाल के लिए सॉफ्ट डेली डिस्पोजेबल लेन्स सबसे साधारण और सुरक्षित विकल्प है। लंबे समय के लिए नियमित लेन्स इस्तेमाल करने से पहले आई स्पेशलिस्ट से जांच कर लें।

ऑर्थो-के (Ortho-K): रात में पहनने वाली रिगिड लेन्स हैं जो सोते समय कॉर्निया की शक्ल थोड़ी बदल देती हैं। सुबह उठकर लेन्स निकालने पर दिनभर बिना चश्मे देख सकते हैं। यह खासकर छोटे बच्चों और शुरुआती मायोपिया में उपयोगी है।

रिफ्रैक्टिव सर्जरी (LASIK, SMILE, PRK): ये सर्जरी कई लोगों के लिए चश्मा खत्म करने का स्थायी रास्ता बन सकती हैं। पर ध्यान दें — सर्जरी के लिए आपकी पर्ची (prescription) कम से कम 1 साल तक स्थिर होनी चाहिए और उम्र आमतौर पर 18 साल से ऊपर होनी चाहिए। साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं: सूखी आँखें, रात में हेज़ी लाइट या ढिला/कठोर सुधार। हमेशा अनुभवी सर्जन से सलाह लें और प्री-ऑप जांच कराएँ।

रोज़मर्रा की आदतें और व्यायाम जो मदद कर सकते हैं

20-20-20 नियम अपनाएँ: हर 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ पर देखें। इससे आँखों की अकॉमोडेशन और थकावट कम होती है।

ब्लिंक करना मत भूलिए: स्क्रीन पर मेहनत करते हुए पलकों की संख्या घट जाती है, जिससे सूखेपन और धुंधली दृष्टि बढ़ती है। हर 10-15 मिनट पर ज़्यादा बार ब्लिंक करें।

आँखों की फोकस एक्सरसाइज: फोकस बदलने की सरल ट्रेनिंग (निकट वस्तु से दूर की वस्तु पर बदल-बलाकर देखना) कुछ अकॉमोडेटिव परेशानियों में मदद कर सकती है। यह शॉर्ट-टर्म स्ट्रेस कम करती है, लेकिन रेफ्रैक्टिव एरर (मायोपिया/हाइपरोपिया) को जड़ से ठीक नहीं करती।

लाइफस्टाइल: पर्याप्त नींद, संतुलित आहार (विटामिन A, C, E और जिंक), और धूप से आँखों की रक्षा जरूरी हैं। अगर आप 40 साल के ऊपर हैं तो पढ़ने के लिए रीडिंग ग्लास की ज़रूरत बनी रह सकती है — यह सामान्य है।

कब डॉक्टर से मिलें? अगर नजर अचानक बिगड़े, डबल दिखे, आँख में तेज दर्द हो या फ्लैश/फ्लोटर्स दिखें तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से मिलें। सर्जरी से पहले और कॉन्टैक्ट लेन्स चुनने से पहले बीमरी परीक्षण और कोर्नियल मैपिंग जरूर करवाएँ।

अंत में, उम्मीदें रियलिस्टिक रखें। कुछ मामलों में चश्मा पूरी तरह हट सकता है, और कुछ मामलों में बस निर्भरता कम की जा सकती है। सबसे सुरक्षित रास्ता है—पहले आंखों की सही जाँच कराएँ, फिर विशेषज्ञ के साथ विकल्पों पर फैसला लें।

DCGI ने दी नज़र सुधारने वाले आई ड्रॉप्स को मंजूरी, अगले महीने से होगी बिक्री शुरू

भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (DCGI) ने एक नए आई ड्रॉप PresVu को मंजूरी दी है, जो पढ़ने के चश्मों पर निर्भरता कम करने के लिए बनाया गया है। इन आई ड्रॉप्स को मुंबई की Entod Pharmaceuticals ने विकसित किया है। PresVu खासकर प्रिस्बायोपिया के इलाज के लिए है, जो विशेषतः 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में होती है। PresVu की बिक्री अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू होगी।