मानद डिग्री: क्या है और क्यों मायने रखती है?

कभी किसी सेलिब्रिटी या वैज्ञानिक को "मानद डॉक्टरेट" मिलता देखकर सोचा है कि उसने फिर से पढाई की? नहीं। मानद डिग्री एक सम्मान है जो विश्वविद्यालय किसी व्यक्ति को उसके क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए देता है — पढ़ाई पूरी करने की शर्त नहीं होती। यह सम्मान अक्सर कला, विज्ञान, समाजसेवा, खेल या साहित्य में दी जाती है।

यह डिग्री अकादमिक योग्यता के रूप में नहीं ली जाती; ज़्यादातर मामलों में यह प्रतीकात्मक होती है और समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा को दर्शाती है। कई बार लोगों को D.Litt., D.Sc., LL.D. जैसी मानद उपाधियाँ दी जाती हैं।

किसे मिलती है और प्रक्रिया कैसी होती है?

मानद डिग्री पाने के लिए कोई आवेदन नहीं करता; लोगों को नामांकित किया जाता है। सामान्य प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है: कोई विभाग, शिक्षाविद या लोकसभा/सरकार से जुड़ा व्यक्ति नाम भेजता है → विश्वविद्यालय की समिति (सिन्डिकेट/अकादमिक काउंसिल) नाम पर विचार करती है → अंतिम मंजूरी और शपथ ग्रहण समारोह में डिग्री दी जाती है।

विश्वविद्यालय अपना नियम मानते हैं — कुछ संस्थाएँ केवल अकादमिक योगदान मानती हैं, कुछ सामाजिक या राजनैतिक कार्यों को भी महत्व देती हैं। आमतौर पर यह तय होता है कि सम्मान वाले व्यक्ति ने देश या क्षेत्र के लिए कुछ विशेष किया है।

विवाद, सीमाएँ और जाँच कैसे करें?

कभी-कभी मानद डिग्री विवाद का विषय बन जाती है — जब किसी राजनीतिक हस्ती या सेलिब्रिटी को दिया जाता है और लोग पूछते हैं कि क्या यह राजनीतिक बढ़ावा है या वास्तविक योग्यता? ऐसे मामलों में पारदर्शिता महत्त्वपूर्ण होती है।

जाँचना आसान है: विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट या प्रोवीडर नोटिस देखें, सम्मेलन का प्रोटोकॉल पढ़ें, या स्नातक/कॉलेज की प्रेस रिलीज़ देखें। सरकारी विश्वविद्यालयों में फैसला आमतौर पर सार्वजनिक रिकॉर्ड में मिलता है। अगर कोई व्यक्ति अपने बायो में मानद डिग्री का हवाला देता है, तो वही स्रोत क्रॉस-चेक करने का सही रास्ता है।

एक और महत्वपूर्ण बात — मानद डिग्री को अकादमिक डिग्री की तरह व्यावसायिक हक केवल तभी देती है जब संस्थान ने स्पष्ट तौर पर उसे मान्यता दी हो। यानी नौकरी या शोध के लिए रेगुलर डिग्री की तरह इसे हमेशा न मानें।

अगर आप जानना चाहते हैं कि किसी खास व्यक्ति को मानद डिग्री मिली है या नहीं, तो उस विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड और समाचार आर्काइव सबसे भरोसेमंद स्रोत होते हैं।

अंत में, मानद डिग्री एक सम्मान है—कभी पहचान बनाती है, कभी विवाद। पर असली बात यह है कि इससे समाज में उसका क्या असर होता है: क्या व्यक्ति ने काम करके नया कुछ दिया, क्या लोगों में सोच बदली? वही असली माप है।

यदि आप किसी मानद डिग्री के बारे में संदिग्ध जानकारी देखते हैं तो पूछिए — हम मदद कर सकते हैं कि कहाँ से सत्यापित करें और क्या मायने रखता है।

गूगल सीईओ सुंदर पिचाई को आईआईटी-खड़गपुर द्वारा मानद डॉक्टरेट की डिग्री से नवाज़ा गया

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर द्वारा मानद डॉक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया गया। यह महत्वपूर्ण सम्मान डिजिटल परिवर्तन, सस्ती तकनीक और नवीनतम नवाचारों में पिचाई के उत्साहजनक योगदान को मान्यता देता है। समारोह सैन फ्रांसिस्को में आयोजित किया गया था, जो पिचाई और प्रतिष्ठित संस्थान दोनों के लिए एक उल्लेखनीय क्षण था।